दिल्ली सरकार ने 575 निजी स्कूलों को दिया 9 प्रतिशत ब्याज के साथ बढ़ी हुई फीस वापस करने का निर्देश
दिल्ली सरकार ने शहर के 575 निजी स्कूलों को बढ़ी हुई फीस वापस करने का निर्देश दिया है जो उन्होंने छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का हवाला देते हुए वसूली थी। सरकार ने इसके साथ ही स्कूलों को जून 2016 से जनवरी 2018 तक वसूली गई बढ़ी हुई फीस नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया है। आप सरकार का यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट के बाद आया है। उच्च न्यायालय ने उक्त समिति का गठन छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के संबंध में निजी स्कूलों के रिकार्ड की जांच करने के लिए किया था।
समिति ने अभी तक शहर में 1169 स्कूलों की आडिट की है। शिक्षा निदेशालय के एक आदेश में कहा गया , ‘‘ समिति ने अपनी रिपोर्ट में 575 स्कूलों की पहचान की है कि वे वसूली गई बढ़ी फीस नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटायें। स्कूलों को निर्देशित किया जाता है कि वे सात दिन के भीतर फीस वापस करें और यदि कोई वेतन बकाया है तो उसका भुगतान सुनिश्चित करें। ’’ इसमें कहा गया ,आदेश का अनुपालन नहीं करने को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषी स्कूलों के खिलाफ दिल्ली स्कूल शिक्षा कानून , 1973 के तहत कार्रवाई की जाएगी। ’’
गौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने दिल्ली के करीब 1400 निजी स्कूलों को 10 फीसद से अधिक फीस नहीं बढ़ाने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में अपने एक आदेश में कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में डीडीए से रियायती दरों पर जमीन पाए स्कूल सरकार से अनुमति लिए बगैर फीस नहीं बढ़ा सकते। गौरतलब है कि निजी स्कूलों की फीस को लेकर अभिभावकों और स्कूलों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। जो स्कूल सरकारी जमीनों पर चल रहे हैं उनके साथ इस मामले में टकराव बढ़ रहा है।
बता दें कि इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार (27 फरवरी) को दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। एकल न्यायाधीश ने अपने अंतरिम आदेश में नर्सरी दाखिले के लिए स्कूल से दूरी के पैमाने पर रोक लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने एकल न्यायाधीश को याचिकाओं पर शीघ्र फैसला करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘हमनें याचिका (दिल्ली सरकार की) को खारिज कर दिया है। हमनें हालांकि एकल न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि वह याचिकाओं (दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली) पर जितनी जल्दी हो सके, फैसला करें।