दिल्‍ली हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेज‍ियम की सिफारिश को मोदी सरकार ने लौटाया

दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्‍ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस अनिरुद्ध बोस की सिफारिश की थी। सूत्रों के अनुसार, छह महीने से भी ज्‍यादा वक्‍त के बाद केंद्र ने सिफारिश लौटाते हुए पुनर्विचार करने को कहा है। भारत के प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्‍यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 जनवरी को जस्‍ट‍िस बोस की पदोन्नति की सिफारिश की थी। सूत्रों ने द इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया कि केंद्र सरकार ने प्रमोशन संबंधी फाइल पुनर्विचार के लिए लौटा दी है।

दिल्‍ली हाई कोर्ट अप्रैल, 2017 में जस्टिस जी. रोहिणी के रिटायर होने के बाद से बिना मुख्‍य न्‍यायाधीश के चल रहा है। जस्टिस गीता मित्‍तल फिलहाल कार्यवाहक मुख्‍य न्‍यायाधीश की भूमिका में हैं। अदालत में 60 जजों का प्रावधान हैं, मगर अभी कुल 32 जजों के सहारे काम चल रहा है। सितंबर में दो और जज रिटायर होने हैं।

उच्‍च पदों पर जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच खींचतान रही है। पिछली बार दोनों के बीच असहमति तब हुई थी जब केंद्र ने उत्‍तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ का नाम लौटा दिया था, जिन्‍हें सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश की गई थी। सरकार ने नाम लौटाने के पीछे वरिष्‍ठता और स्थानीय प्रतिनिधित्‍व को आधार बताया था।

सूत्रों ने कहा कि जस्टिस बोस के मामले में भी सरकार ने ऐसी ही वजह बताई है। वर्तमान में, देश के दो उच्‍च न्‍यायालयों में ऐसे मुख्‍य न्‍यायाधीश हैं जो मूल रूप से कलकत्‍ता हाई कोर्ट से रहे हैं। यह हैं मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बैनर्जी और कलकत्‍ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ज्‍योतिर्मय भट्टाचार्य।

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