दिवाली पर खुले में बिके नहीं पर खुलेआम छूटे पटाखे

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद खुलेआम पटाखे भले नहीं बेचे गए पर इन इलाकों में आतिशबाजी में कोई खास कमी नहीं आई। नतीजतन शहर में 24 गुना तक प्रदूषण बढ़ गया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद से अबतक 88 लोगों को पटाखा बेचने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध था, उन्हें जलाए जाने पर नहीं। दिल्ली-एनसीआर में खुले में बिक्री नहीं होने के बावजूद खुलेआम जमकर आतिशबाजी हुई और गुरुवार देर रात से घुटन महसूस होने लगी। पूर्वी दिल्ली का पटपड़गंज का इलाका। गुरुवार शाम आठ बजे के बाद पटाखे छूटने शुरू हुए और हर साल की तरह लोगों की आंखों में जलन। दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एक हाउसिंग सोसायटी में एक परिवार के बच्चे रॉकेट से लेकर बम तक छोड़ रहे थे। बच्चों से पूछा कि पटाखे कहां से खरीदे तो उनके जवाब देने से पहले उनकी मां बोल पड़ीं कि घर पर पुराने बचे थे। मां का यह जवाब सुन कर बच्चों का यह बताने का रोमांच दिल में ही रह गया कि किस तरह ज्यादा पैसे देकर दुकान के अंदर से ये पटाखे खरीदे गए थे। चांदनी चौक में पटाखों की पचास साल पुरानी दुकान चलाने वाले विक्रेता कहते हैं कि इस बार दुकान का आगे का शटर नहीं खुला। लेकिन रोजी-रोटी का तो जुगाड़ करना था। वैसे ही बेचे जैसे इस तरह के प्रतिबंध के बाद उन शहरों में शराब बेची जाती है जहां पूरी तरह से शराबबंदी लागू होती है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने शुक्रवार सुबह छह बजे जो आंकड़े जारी किए हैं उससे साफ होता है कि आतिशबाजी से दिल्ली की हवा बुरी तरह प्रदूषित हुई है। सुबह 6 बजे कई जगहों पर प्रदूषण 24 गुना से भी ज्यादा रिकॉर्ड हुआ। आरकेपुरम में सुबह के समय पीएम 2.5 का स्तर पीएम 10 से कहीं ज्यादा बढ़ा हुआ है। पीएम 2.5 वे महीन कण हैं जो हमारे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। पीएम 2.5 का स्तर इंडिया गेट जैसे इलाकों में दर्ज किया गया जहां हर रोज सुबह कई लोग सेहत की सैर के लिए आते हैं। वहां प्रदूषण 15 गुने से भी ज्यादा ऊपर आया है। इंडिया गेट पर सुबह 6 बजे पीएम 2.5 की मात्रा 911 माइक्रोन रही, जबकि सामान्य तौर पर इसे सिर्फ 60 माइक्रोन होना चाहिए। डीपीसीसी के आंकड़ों के मुताबिक अशोक विहार में पीएम 2.5 की मात्रा 820 माइक्रोन है जो सामान्य से 14 गुना ज्यादा और आनंद विहार में पीएम 2.5 कणों की मात्रा 617 माइक्रोन है जो सामान्य से 10 गुने से भी ज्यादा है। आरकेपुरम के अलावा शाहदरा, वजीरपुर और श्रीनिवासपुरी जैसे इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई गुना अधिक पहुंच गया।

प्रदूषण का स्तर बताने वाला सिस्टम आॅफ एअर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) का निशान गाढ़ा भूरा हो गया। यह इस बात का संकेत है कि शहर में वायु की गुणवत्ता ‘गंभीर’ की खतरनाक श्रेणी में आ गई है और इससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। खास तौर से श्वसन एवं हृदय संबंधी बीमारी वाले लोगों को यह अधिक प्रभावित करता है। पीएम 2.5 और पीएम 10 का पिछले 24 घंटे का क्रमिक औसत क्रमश: 424 और 571 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था जो इसकी सुरक्षित सीमा क्रमश: 60 तथा 100 से कई गुणा अधिक है। अमेरिकी दूतावास के प्रदूषण निगरानी सेंटर ने वायु की गुणवत्ता को 878 सूचकांक के साथ ‘खतरनाक’ रिकार्ड किया है। इसके बारे में दूतावास का मानना है कि यह ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक 500’ से बहुत आगे है। लेकिन पिछले अन्य सालों की अपेक्षा इस साल दीपावली से पहले का त्योहारी मौसम अधिक साफ-सुथरा था। दीपावली की शाम अपेक्षाकृत काफी शांत थी और ऐसा लग रहा था कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों की बिक्री पर सर्वोच्च न्यायालय का प्रतिबंध काम कर गया है। लेकिन धीरे-धीरे पटाखे फूटने लगे और कुछ ही देर में समूचे इलाके में बारूद का विषैला धुआं भर गया। दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने कहा कि आतिशबाजी तो हुई लेकिन रात 11 बजे के बाद ज्यादा हुई। प्रतिबंध के कारण इस बार थोड़ा चैन तो मिला। हालांकि इस दिवाली दिल्ली के अस्पतालों से आया आंकड़ा राहत भरा रहा। बड़े अस्पतालों में इस दिवाली पर पिछले वर्ष की तुलना में घायल होने के कम मामले आए। सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल में क्रमश: 66 और 29 रोगी आए। इन दोनों अस्पतालों में घायलों की उपचार की बड़ी इकाइयां हैं। एम्स में गुरुवार रात तक जख्मी होने का कोई मामला सामने नहीं आया था।

 

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