दीनदयाल उपाध्याय जयंती: सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय में किया प्रतिमा का अनावरण, किया 100 कैदियों को रिहा
दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर स्थित यहाँ दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय जी प्रतिमा का अनावरण करते हुये कहा कि उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। सीएम योगी ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ने सम्पूर्ण जीवन में ‘एकात्म मानवतावाद’ के दर्शन और सिद्धांत को अपनाते हुए अपनी आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आगें बढने का आवाह्न किया है। उन्होंने इसी दर्शन जो केन्द्र में रखकर विश्वविद्यालयों से ऐसे जनोपयोगी शोधकार्यो के विस्तार किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया जिससे लोगों का कल्याण हो सके। उत्तर प्रदेश सरकार ने 100 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है।
25 सितंबर 1916 को मथुरा में जन्मे दीनदयाल उपाध्याय 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के डिब्बे में मृत पाए गये थे। भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अग्रणी विचारकों में शुमार होते हैं। 1977 के आम चुनाव से पहले भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया था। लेकिन 1980 में जनसंघ का धड़ा जनता पार्टी से निकलकर भारतीय जनता पार्टी बना ली थी
इन बंदियो को कल 25 सितंबर को पं दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर छोड़े जाने के लिये आदेश कारागार महानिरीक्षक के माध्यम से संबंधित कारागार अधीक्षको को भेज दिये गये है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वार्षिक बैठक के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) को राज्य में कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। गृह विभाग के एक प्रवक्ता के अनुसार इस अवसर पर जिन बंदियों को रिहा किये जाने का निर्णय लिया गया है, उनमें से 80 बंदी ऐसे है जो न्यायालयों द्वारा उन्हें दी गयी सजा पूरी कर चुके है। मगर गरीबी पैसे की कमी के कारण उनके ऊपर जो जुर्माना लगाया गया था वह जमा नहीं कर सके, जिसके कारण वह सजा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद है।
इसके अलावा आजीवान कारावास की सजा भुगत रहे 20 बंदियों को दया याचिका, प्रोबेशन एक्ट तथा नामिनल रोल जैसे प्रावधानों अन्तर्गत सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से रिहा किया जा रहा है। प्रवक्ता ने बताया कि जुर्माना न जमा कर पाने के कारण जिन बंदियों को रिहा किया जा रहा है, उनमें जिला कारागार लखनऊ से 12, वाराणसी से 11, फैजाबाद से 10, मथुरा से पांच तथा बाकी अन्य जिलों से हैं। इसी प्रकार आजीवन कारावास के 20 कैदियों में से बरेली से सात, वाराणसी से पांच, आगरा से चार, फतेहगढ़ से दो एवं नैनी और गोरखपुर कारागार का एक कैदी शामिल है।
उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएं जाने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा कि क्षेत्रीय आवश्यकता के मुताबिक बीमारी, बेरोजगारी और बाढ़ जैसी समस्याओं के के निराकरण हेतु शोध किये जाने की जरूरतों को वरीयता के किया जाना चाहिए। साथ ही साथ शोध कार्यों से अवगत कराया जाना चाहिए जिससे शासन को जनहित के कार्यों को करने में सहायता मिले। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों ने किस प्रकार स्थानीय समस्याओं के निराकरण में अपने शोध कार्यों से सफलता प्राप्त की है इसकी भी जानकारी विश्व विद्यालयों को करना होगा। उन्होंने कहा कि शोधकार्यो और शोधपत्रों का आदान प्रदान करने से शोध की गुणवत्ता में सुधार आ सकेगा। इस अवसर पर कुलाधिपति और प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन दर्शन से सभी को सीख लेने की जरूरत है। हम सब यह स्वीकार करते है कि जीवन में विविधता तो है लेकिन हमे इसके मूल में निहित एकता के दर्शन की सकारात्मक सोच को आत्मसात करते हुए अपने पथ पर चलते रहना चाहिए।