दुनिया के कई देशों में कैसे नेताओं को चुनाव जिताती है फेसबुक से डेटा चुराने वाली कंपनी, स्टिंग में बड़ा खुलासा
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के लिए कैंपेनिंग करने वाली कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी पर फेसबुक से पांच करोड़ लोगों की सूचनाएं चोरी करने का आरोप लगा है। इन सूचनाओं के जरिए 2012 में ट्रंप के पक्ष में माहौल खड़ा किया गया और विरोधी नेताओं के खिलाफ जर्बदस्त कैंपेनिंग कर उन्हें चुनाव से बाहर करने की का खेल चला। अब ब्रिटिश टीवी चैनल 4 ने इस ब्रिटिश कंपनी के शीर्ष दो अफसरों का स्टिंग कर चौंकाने वाली जानकारियां दुनिया के सामने लाई हैं। जिससे डेमोक्रेसी में डेटा और डर्टी ट्रिक्स के बीच आपसी संबंधों का खुलासा होता है।
चैनल ने चार महीने तक चले अंडरकवर ऑपरेशन के जरिए कैंब्रिज एनालिटिका के अफसरों को खुफिया कैमरे के सामने बेनकाब किया। चैनल के रिपोर्टर्स ने क्लाइंट बनाकर कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव अलेक्जेंडर निक्स और इसके मैनेजिंग डायरेक्टर मार्क टर्नबुल से लंदन के होटल्स में मुलाकात की। उनसे विदेशी चुनावों में मदद मांगी। बातचीत के दौरान कंपनी के दोनों अफसर अपनी वाहवाही बताते हुए भारत सहित दुनिया के कई देशों में अपनी सफल चुनावी कैंपेनिंग की बात बताते हैं।
कैसे करते हैं चुनावी कैंपेनिंगः चैनल फोर ने स्टिंग का वीडियो जारी किया है। जिसमें क्लाइंट बने चैनल के रिपोर्टर्स के साथ कंपनी के दोनों शीर्ष अधिकारियों की मीटिंग के दौरान बातचीत हो रही है।इसमें एक मीटिंग के दौरान रिपोर्टर और मार्क टर्नबुल हैं तो दूसरी मीटिंग में मार्क टर्नबुल और अलेक्जेंडर निक्स दोनों एक साथ डीलिंग करते दिखाई दे रहे हैं। जब क्लाइंट बना रिपोर्टर चुनावी कैंपेनिंग के तौर-तरीकों को लेकर सवाल पूछता है तो अलेक्जेंडर निक्स बताते हैं कि वे आक्रामक चुनावी कैंपेनिंग को धार देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। मसलन जिस पार्टी या नेता के लिए चुनावी कैंपेनिंग करते हैं, उसके लिए मेनिफेस्टो, स्पीच लिखने से लेकर सर्वे करने और जनता से जुड़े आंकड़े मुहैया कराते हैं।
वहीं विपक्षी नेताओं को कमजोर साबित करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। पहले उनसे जुड़े डेटा जुटाने की कोशिश होती है। सोशल मीडिया के जरिए गोपनीय जानकारी जुटाई जाती है। फिर तरह-तरह के प्रलोभनों में विपक्षी नेताओं को फंसाने की कोशिशें होती है। जैसे उसके पास खूबसूरत लड़कियां भेजी जाती हैं या फिर पैसे या प्रापर्टी डीलर को भेजकर ऑफर दिए जाते हैं। इस दौरान लड़कियों और डीलर्स के साथ नेताओं की वीडियो तैयार कर उसे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर वायरल करते हैं। ताकि नेता की जनता के बीच इमेज धूमिल हो सके। उन्होंने बताया कि नेताओं को दूसरे देश की लड़कियां सप्लाई करते है। अधिकांश यूक्रैन और श्रीलंका की लड़कियां भेजी जाती है। ताकि नेताओं को मामला लीक होने का डर न रहे।
कहीं छद्म नाम से तो कहीं दूसरों के जरिए कैंपेनिंगः होटल के कमरे में हुए स्टिंग के दौरान मार्क टर्नबुल और निक्स कह रहे हैं कि उन्होंने डेटा चोरी करने से लेकर चुनानी कैंपेनिंग के काम में अपने जैसी कई अन्य इंटेलीजेंस आर्गनाइजेंशंस को जोड़कर रखा है। कहीं पर खुद कंपनी का नाम बदल लिया जाता है तो कहीं पर अपने जैसी अन्य कंपनियों की सुविधा ली जाती है। दुनिया भर की कई कंपनियां उनके साथ काम कर रहीं हैं।
मार्क टर्नबुल ने अपने काम गिनाते हुए कहा कि उनकी कंपनी 2013 और 2017 में केन्या में कैंपेनिंग कर चुकी है। चैनल ने दावा कि इस कंपनी ने केन्या के चुनाव में फर्जी खबरें सोशल मीडिया पर दौड़ाई। जिससे वहां राष्ट्रपति चुनाव को कंपनी ने प्रभावित किया। स्टिंग में दोनों अफसरों ने कहा कि नेताओं के मेनिफेस्टो, स्पीच लिखने का काम भी उनकी कंपनी करती है। कंपनी इतनी सतर्कता से कैंपेनिंग करती है कि लोगों को मालुम ही नहीं पड़ता की यह प्रोपोगंडा है। टर्नबुल एक जगह कहते हैं कि अब चुनाव तथ्यों पर नहीं भावनाओं पर लड़े जाते हैं। इस नाते हम इसी तरह की कैंपेनिंग पर फोकस करते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका से लेकर कई अफ्रीकी देशों, यहां तक कि चीन, चेक रिपब्लिक, अर्जेंटीना और भारत में भी उनकी कंपनी कैंपेनिंग कर चुकी है।