दुनिया मेरे आगे- सऊदी अरब में योग
सुधीर कुमार
नोफ मारवाई और राफिया नाज मुसलिम योग प्रशिक्षिकाएं है। एक का संबंध सऊदी अरब से है, वहीं दूसरी का भारत से। इन दोनों में अंतर बस इतना है कि नोफ मारवाई के प्रयास से योग को उसके देश में ‘खेल’ के तौर पर आधिकारिक मान्यता मिल जाती है। वहीं, झारखंड में योग सिखाने वाली राफिया नाज को जान से मारने की धमकी मिलती है। उनके खिलाफ मौखिक फतवा जारी होता है और उनके घर पर पथराव भी किया जाता है। स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि राज्य के मुख्यमंत्री को राफिया की सुरक्षा के लिए दो अंगरक्षक देने पड़ते हैं। राफिया को सोशल साइट और मोबाइल पर कट्टरपंथी लगातार धमकियां दे रहे हैं। राफिया की घटना अगर किसी इस्लामिक देश में घटित होती तो कतई आश्चर्य नहीं होता, लेकिन योग की जननी और इसे लेकर दुनिया का नेतृत्व करने वाले भारत में राफिया की घटना बताती है कि अब भी योग के प्रति कुछ कट्टरपंथियों का नजरिया नहीं बदला है। हालांकि योग का किसी धर्म विशेष से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। योग शरीर और मन को साधने की एक कला है। आज जबकि योग की वजह से तमाम असाध्य रोगों का निशुल्क इलाज संभव हो पा रहा है तब भी योग को धार्मिक चश्मे से देखना क्या उचित होगा? सैंतीस वर्षीय नोफ मारवाई सऊदी अरब में ‘योगा फाउंडेशन’ की स्थापना कर लोगों को प्रशिक्षण दे रही हैं। वे इसके माध्यम से अपनी रोजी-रोटी भी कमा रही हैं। वे एक प्रगतिशील महिला हैं और मानती हैं कि योग और धर्म के बीच किसी तरह का कोई संघर्ष नहीं है। अब उन्हें सऊदी अरब की पहली योग प्रशिक्षिका की मान्यता भी मिल गई है।