देश में कहां होता है हाथ से मैला ढोने का काम, सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी

सरकार ने कहा है कि देश में हाथ से मैला ढोने पर रोक लगाने वाला कानून लागू है. सरकार ने कहा है कि देश के किसी भी राज्य से सिर पर मैला ढोने का मामला सामने नहीं आया है. मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 को हम एमएस एक्ट के रूप में भी जानते हैं. यह कानून भारत में मैनुअल स्कैवेजिंग (मैला ढोने) को प्रतिबंधित कर मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास का प्रावधान करता है. 

हाथ से मैला ढोने पर कौन सा कानून लगाता है रोक

लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) के अनिल यशवंत देसाई के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. देसाई ने सरकार से जानना चाहा था कि क्या यह सच है कि देश में हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर रोक लगाने और हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए एमएस एक्ट 2013 लागू है. उन्होंने जानना चाहा था कि क्या देश में इस पर नजर रखी जा रही है और इस कानून के उल्लंघन की शिकायत क्या किसी राज्य से मिली है. उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि क्या देश के किसी हिस्से में अभी भी हाथ से मैला ढोने का काम अभी भी हो रहा है. 

इन सवालों के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि संसद ने हाथ से मैला ढोने के काम पर रोक लगाने और इस काम में लगे लोगों के पुनर्वास के लिए एमएस एक्ट 2013 बनाया था. राज्य इस कानून के प्रावधानों की निगरानी करते हैं.  उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य से इस कानून के अतिक्रमण की शिकायत नहीं मिली है. 

उन्होंने बताया कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद से देश में छह दिसंबर 2013 से हाथ से मैला ढोने के काम को प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसके बाद से कोई व्यक्ति या संस्था किसी व्यक्ति को हाथ से मैला ढोने के काम पर नहीं रख सकता है. इसका दोषी पाए जाने पर दो साल की जेल या एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.