देश में गहराया जल संकट: शिमला के बाद राजस्‍थान, यूपी के कई इलाकों में पानी की किल्‍लत

देश में जल संकट फैलता जा रहा है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बाद पानी की समस्या राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में आफत बन कर टूट पड़ी है। ऊपर से चिलचिलाती गर्मी ने उत्तर भारत में लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। पानी की कमी का आलम यह है कि लोगों को इसके चोरी होने का डर सताने लगा है। अजमेर में लोग पानी के ड्रम में ताला लगाकर रख रहे हैं। वहीं, पूर्वी यूपी के कुछ गांवों में महिलाओं को मीलों दूर का सफर तय कर पानी भर कर रोजमर्रा के काम निपटाने पड़ रहे हैं।

आपको बता दें कि शिमला में बीते दस दिनों से पानी की किल्लत बरकरार है। विरोध प्रदर्शन से लेकर जलकल विभाग में इस बाबत शिकायत दी गई थी, मगर हालात जस के तस हैं। पानी की समस्या इस हिल स्टेशन में उस वक्त आई है, जब यहां भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। नतीजतन कुछ छोटे होटल मालिकों ने शिमला में होटलों की बुकिंग रद्द कर दी थी। वहीं, जो होटल लोगों को कमरा दे रहे थे, वे एक या दो बाल्टी पानी मुहैया कराने की शर्त पर कमरे किराए पर दे रहे थे। ऐसे में अब आखिरी उम्मीद प्री-मॉनसून बारिश से की जा रही है, जो जून के तीसरे हफ्ते में पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्रों को उबार सकती है।

राजस्थान-यूपी के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी पानी की दिक्कत देखने को मिली थी। यूपी सरकार ने तो पांच राज्यों में सूखा भी घोषित कर दिया है, जिसमें सबसे अधिक प्रभावित सोनभद्र और बुंदेलखंड क्षेत्र हैं। सोनभद्र में आधे गांव में पाइप से घरों में पहुंने वाला पानी नहीं आ रहा है, जबकि हैंडपंप सूख चुके हैं। महिलाओं को इस स्थिति में रोजाना पांच से छह किलोमीटर पानी भरने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है।

पानी की समस्या के मद्देनजर शिमला में पांच दिनों तक के लिए सरकारी स्कूलों में छुट्टी का ऐलान कर दिया गया। समस्या हल न होने तक कार की धुलाई और निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, टैंकरों के जरिए पानी प्रभावित इलाकों में लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, मगर वह नाकाफी है।

शिमला में स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि वहां पर पानी के रख-रखाव का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ती हुई आबादी के अनुकूल नहीं है, जिसे अंग्रेजों ने काफी पहले बनाया है। 50 फीसदी पानी चूने और बहने के मामले टूटे पाइपों के कारण सामने आते हैं। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में इस मसले को लेकर सुनवाई भी हो रही है। कोर्ट ने कहा है कि टैंकर से किसी को भी पानी न दिया जाए, जिसमें वीआई और जज तक शामिल हैं।

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