देश में बने माहौल से खतरे में है 83 बिलियन डॉलर की डेरी इंडस्ट्री
भारत की डेरी इंडस्ट्री 83 बिलियन डॉलर (करीब 5.3 लाख करोड़ रुपए) की है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में गायों को लेकर बने माहौल की वजह से यह खतरे में है। भारत में गाय को पवित्र माना जाता है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद गायों की सुरक्षा करने वाले ग्रुप्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वहीं पशुओं के व्यवसायियों पर भी लगातार हमले बढ़े हैं। कई राज्यों में पहले से ही मवेशियों के वध पर रोक लगी हुई है, और कुछ ने नियमों को कड़ा कर दिया है। इसकी वजह से केवल कट्टी घर और चमड़ा इंडस्ट्री प्रभावित नहीं हुई हैं, बल्कि इससे डेरी इंडस्ट्री भी प्रभावित हो रही है। यह सरकार के डेरी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के प्लान के लिए भी खतरा है।
यूपी के 62 साल के किसान पुरानमासी वर्मा का कहना है कि पशु बाजारों में गायों की कोई मांग नहीं है, और अगर हम उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं, तो वे हमारी फसलों को नष्ट कर देते हैं। जैसा कि देश में पिछले दो दशकों से दूध उत्पादन में 4.3 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी हो रही है। वहीं देश के 7 करोड़ छोटे-छोटे डेरी फार्म मालिकों और उनसे दूध लेने वाली बड़ी कंपनियों की समस्याएं बढ़ रही हैं।
दही बनाने वाली कंपनी डेनोन एसए का दिल्ली के पास एक कारखाना है जिसे वह बंद कर रही है। पेरिस स्थित कंपनी ने एक बयान में कहा था कि वह अपने “बेस्ट परफार्मिंग” पोषण और शिशु फार्मूला ब्रांडों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फ्रेश और लॉन्ग लाइफ मिल्क प्रॉडक्ट्स के भारत के बाजार से बाहर निकल रहे हैं। ब्लूमबर्ग बिजनेसवीक के मुताबिक क्वालिटी लिमिटेड के चैयरमैने रतन सागर खन्ना ने कहा कि जब लोगों की इनकम बढ़ जाएगी तो लोग डेरी प्रॉडक्ट्स पर ज्यादा खर्च करेंगे। वहीं डेरी इंडिया के एडिटर शरद गुप्ता का कहना है कि देश में 2020 तक डेरी प्रॉडक्ट्स का कारोबार 10.05 ट्रिलियन रुपए तक पहुंच जाएगा।