देश से ज्यादा दोस्ती को दी तवज्जो- पाक से लौटे सिद्धू पर गरजीं सरबजीत की बहन दलबीर कौर
पाकिस्तान की जेल में शहीद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला किया है। दलबीर कौर ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर सिद्धू ने देश के ऊपर दोस्ती को तवज्जो दी है। पाकिस्तान की जेल में 2013 में सरबजीत पर हमला हुआ था। उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को सिद्धू द्वारा गले लगाए जाने को लेकर भी सवाल उठाए, जब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास हाल के समय में लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं होती रही हैं।
अमृतसर में रह रहीं कौर ने कहा, ‘‘इमरान खान की प्रशंसा करने के अलावा सिद्धू ने कहा कि ‘हिंदुस्तान जीवे ते पाकिस्तान जीवे, हसदा वसदा सारा जहान जीवे (भारत, पाकिस्तान और पूरी दुनिया में समृद्धि आए)। पाकिस्तान की धरती पर ऐसे उद्गार व्यक्त करने से पहले सिद्धू को यह विचार करना चाहिए कि क्या पाकिस्तान के नेता, कलाकार या खिलाड़ी भारतीय धरती पर भारत के लिए इस तरह की भावना जताते हैं।’’ उन्होंने कहा कि सिद्धू ने खुद को न केवल प्रशंसा करने तक सीमित रखा बल्कि शपथ ग्रहण समारोह में ‘‘पाकिस्तान के सेना प्रमुख को गर्मजोशी से गले लगाया’’ क्योंकि उनको विश्वास था कि जनरल कमर अहमद बाजवा शांति में विश्वास करते हैं।
कौर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते अमृतसर से विधायक होने के नाते सिद्धू को किसी और की तुलना में जम्मू-कश्मीर के निवासियों का दर्द ज्यादा समझना चाहिए था और इस बात को समझना चाहिए था कि पाकिस्तान की तरफ से जब बिना उकसावे के गोलीबारी होती है तो सीमावर्ती निवासियों को किन स्थितियों का सामना करना पड़ता है।’’
वहीं रविवार (19 अगस्त) को पाकिस्तान से लौटे नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि अगर कोई कहे कि हमारी संस्कृति एक है और ऐतिहासिक गुरूद्वारा करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने की बात करे तो उन्हें क्या करना चाहिए था? सिद्धू वाघा-अटारी सीमा के पाकिस्तान से लौटे। वह क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान के न्यौते पर शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने गए अकेले भारतीय थे। बाजवा को गले लगाने के बारे में पूछे जाने पर सिद्धू ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर कोई (पाक सेना प्रमुख) मेरे पास आता है और कहता है कि हमारी संस्कृति एक है और हम पहले सिख गुरू, गुरू नानक देव की 550वीं जयंती पर पाकिस्तान में गुरूद्वारा करतारपुर साहिब का मार्ग खोलेंगे तो मैं क्या कर सकता था?’