दो महीने की राहत के बाद ईरान पर अमेरिका ने फिर लगाया बैन, रियाल का मूल्य गिरकर हुआ आधा

अमेरिका ने ईरान पर आज फिर से कड़े प्रतिबंध लगाये दिये हैं। इन प्रतिबंधों को बहुपक्षीय परमाणु समझौते के बाद हटाया गया था। मई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के परमाणु समझौते से बाहर होने की घोषणा की थी। अमेरिकी प्रतिबंधों के पहले चरण में ईरान की अमेरिकी मुद्रा तक पहुंच तथा कार और कालीन समेत अन्य प्रमुख उद्योगों को निशाना बनाया गया है। ईरान पहले से ही प्रतिबंध के प्रभाव का सामना कर रहा है। ट्ंरप द्वारा समझौते से बाहर निकलने की घोषणा के बाद से उसकी मुद्रा रियाल का मूल्य करीब आधा रह गया। ट्रंप ने कल एक बार फिर परमाणु समझौते पर निशाना साधते हुये इसे “भयानक, एकतरफा सौदा” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ईरान के परमाणु बम बनाने के सभी मार्गों को अवरुद्ध करने के मौलिक उद्देश्य को हासिल करने में नाकाम रहा है।

ट्रंप ने कल जारी कार्यकारी आदेश में कहा कि मिसाइल के विकास और क्षेत्र में “घातक” गतिविधियों के “व्यापक और स्थायी समाधान” के खातिर ईरान पर वित्तीय दबाव डाला गया है। यूरोपीय संघ की राजनयिक प्रमुख फेडेरिका मोगेरिनी ने कहा कि अमेरिका के फिर से प्रतिबंध लगाने पर ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत समूह के अन्य देशों ने खेद जताया है।
अमेरिकी जुर्माने के डर से कई बड़ी कंपनियां ईरान से बाहर जा रही है। ट्रंप ने ईरान के साथ कारोबार जारी रखने वाली कंपनियों और लोगों को “गंभीर परिणाम” भुगतने की चेतावनी दी है।

अमेरिकी प्रतिबंधों का दूसरे चरण 5 नवंबर से प्रभावी होगी और इससे ईरान के कच्चे तेल की बिक्री पर लगेगी। यह स्थिति भारत, चीन और तुर्की जैसे कई देशों को अत्यधिक नुकसान पहुंचायेगी। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जरीफ ने कहा कि ट्ंरप के इस कदम से अमेरिका दुनिया में “अलग-थलग” पड़ गया है। हालांकि, उन्होंने माना कि प्रतिबंधों से कुछ व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।

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