दो साल बाद कांग्रेस देने जा रही इफ्तार पार्टी, राहुल गांधी के नेतृत्‍व में जुटेंगे बड़े नेता

दो साल के अंतराल के बाद कांग्रेस इफ्तार पार्टी का आयोजन करने जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने 13 जून को इफ्तार का आयोजन करने का फैसला लिया है। अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार इफ्तार पार्टी का आयोजन करने जा रहे हैं। इस पार्टी में उनके नेतृत्व में कई बड़े नेता जुटेंगे। कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के प्रमुख नदीम जावेद ने कहा, ’13 जून को दिल्ली के ताज पैलेस होटल में इफ्तार का आयोजन किया जाएगा।’ कांग्रेस की तरफ से आखिरी बार इफ्तार पार्टी का आयोजन 15 जून को किया गया था। उस वक्त पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, उनके नेतृत्व में इसका आयोजन किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पार्टी में कई बड़े नेताओं और अधिकारियों को बुलाया जाएगा।

बता दें कि कांग्रेस की तरफ से इफ्तार पार्टी देने का फैसला उस वक्त लिया गया, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में इसका आयोजन न करने का फैसला लिया। हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसके बाद पार्टी में हुए खर्चे को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इफ्तार का आयोजन किया था, लेकिन कांग्रेस नेता इस पार्टी में नहीं गए थे।

साल 2016 के पहले तक कांग्रेस इफ्तार का आयोजन करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वार इसका आयोजन किया जाता था। कांग्रेस द्वारा इस इफ्तार को फिर से शुरू करने का फैसला उस वक्त लिया गया है जब वह केंद्र में बीजेपी को घेरने की तैयारी कर रही है और इस मकसद के विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया जा रहा है। गौरतलब हो कि राष्ट्रपति कोविंद ने इस साल इफ्तार का आयोजन न करने का फैसला धर्मनिरपेक्षता की भावना को ध्यान में रखते हुए लिया है। राष्ट्रपति भवन में हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन होता रहा है, बस 2002-07 तक का कार्यकाल इसका अपवाद है।

दरअसल 2002-07 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के कार्यकाल में भी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया गया था। कलाम के कार्यकाल के बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया है कि ‘राष्ट्रपति भवन धर्मनिरपेक्ष राज्य की अभिव्यक्ति करता है। यही वजह है कि गवर्नेंस और धर्म के मामलों को अलग रखा गया है। करदाताओं के पैसे को किसी धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन में खर्च नहीं किया जाएगा।’

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