धार्मिक इमारतें गिराने में दिखाई ढिलाई तो चीफ सेक्रेटरी समेत कई अफसरों का वेतन काटने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को चीफ सेक्रेटरी, अर्बन डेवलेपमेंट के मुख्य सचिव, रेवेन्यू, फॉरेस्ट और गृह सचिव, नागपुर म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के कमिश्नर और नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन की सैलरी में से हर दिन एक रुपया काटने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश गैर-कानूनी धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने का एक्शन प्लान कोर्ट में पेश नहीं करने पर दिया है। जस्टिस भूषण धर्माधिकारी और जाका हक की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की बेंच ने गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है। यह जनहित याचिका मनोहर खोरागडे और गजानन जादे ने कोर्ट में दाखिल की थी। इस जनहित याचिका में कहा गया है कि गैर-कानूनी धार्मिक संरचनाओं से जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वह गैर-कानूनी धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करें और सुप्रीम कोर्ट ने इस काम की निगरानी की जिम्मेदारी सभी हाईकोर्ट को सौंपी थी। इस मसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बीते माह हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण सिविक अथॉरिटीज की खिंचाई भी की थी और चीफ सेक्रेटरी को कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी डीके जैन ने बीते 19 जून को कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर नागपुर में उन संरचनाओं की सूची सौंपी थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त किया जाना था।

बीते 10 दिन पहले नागपुर की सिविक अथॉरिटीज ने कुछ गैर-कानूनी संरचनाओं को ध्वस्त भी किया था। लेकिन इसी बीच सोमवार को केन्द्रीय मंत्री और नागपुर से सांसद नितिन गडकरी ने सिविक अथॉरिटीज के चीफ को एक पत्र लिखा। अपने पत्र में नितिन गडकरी ने लिखा कि अथॉरिटी ने उन संरचनाओं को तो पहले ध्वस्त नहीं किया जिनसे जनता को परेशानी हो रही थी और उन धार्मिक संरचनाओं को पहले ध्वस्त कर दिया गया है, जो कि पब्लिक लैंड पर थी और जिनसे लोगों को कोई परेशानी नहीं थी। गडकरी ने लिखा कि शहर का सांसद होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी है कि शहर में कानून व्यवस्था प्रभावित ना होने पाए। सूत्रों के अनुसार, नितिन गडकरी का यह पत्र उनकी कुछ भाजपा और विहिप के नेताओं से मुलाकात के बाद लिखा गया है। बताया जा रहा है कि मुलाकात के दौरान नेताओं ने गडकरी से मिलकर धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त किए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। विभिन्न मंदिरों के 6 ट्रस्टियों ने भी कोर्ट में हस्तक्षेप की याचिका दाखिल की है, लेकिन फिलहाल कोर्ट ने इस याचिका को पेंडिंग में डाल दिया है।

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