धीरूभाई अंबानी पुण्यतिथि: जब मुकेश-अनिल से गुस्सा हो गये थे पापा, दो दिनों तक गैराज में बंद रहे थे दोनों भाई

भारत के चोटी के उद्योगपतियों में शुमार रहे धीरजलाल हीराचंद अंबानी ऊर्फ धीरूभाई अंबानी की आज पुण्यतिथि है। 6 जुलाई 2002 को मुंबई में उनका निधन हुआ था। भारत की पहली कॉरपोरेट फैमिली का तमगा पाने वाले धीरूभाई अंबानी की जिंदगी के किस्से देश के उनकी शख्सियत के परिचायक हैं। ये कहानियां बताती हैं कि धीरू भाई कितने सहज इंसान थे। अनुशासन, काम के प्रति समर्पण, मदद की भावना उनके बुनियादी मूल्य थे। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी पापा को याद कर भावुक हो उठते हैं। मुकेश बताते हैं कि उन्होंने पापा में एक शिक्षक का अक्श दिखा। एंकर सिमी गरेवाल के लोकप्रिय कार्यक्रम Rendezvous with Simi Garewal में मुकेश अंबानी बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता से सिखा कि सफलता और समृद्धि के लिए इंसान में विनम्रता का गुण होना बहुत जरूरी है। मुकेश अंबानी का बचपन उस घर में गुजरा जहां से हिन्दुस्तान की कई नामी गिरामी कंपनियों का जन्म हुआ। लिहाज इस घर में बिजनेस की बातें होती रहती थी।

कामयाबी, नफा-नुकसान, चुनौती जैसे शब्द इस घर में होने वाले बातचीत में अक्सर शामिल रहते। मुकेश इस इंटरव्यू में अपने बचपन को याद करते हैं। जब उद्योगपति धीरूभाई अंबानी का सपना आकार ले चुका था। हिन्दुस्तान औद्योगीकरण की ओर बढ़ रहा था। धीरूभाई अपने बिजनेस का विस्तार कर रहे थे। मुकेश स्वीकार करते हैं कि उनके पिता ने एक टेबल, कुर्सी और एक फोन के साथ बिजनेस की शुरूआत की थी। मुकेश अंबानी कहते हैं कि पिता अनुशासन के सख्त थे। इससे जुड़ा एक वाकया सुनाते हुए मुकेश बताते हैं कि कभी-कभी पापा कितने सख्ती से उनलोगों के साथ पेश आते थे। “एक शाम को हमारे घर में कुछ मेहमान आने वाले थे, मेरी उम्र 10-11 के आसपास थी जबकि अनिल 9 साल का था, हम दोनों ने शरारतें की, मां मेहमानों के लिए खाना लाती, लेकिन मेहमान उसे खाते, उससे पहले उसे हम खा जाते…मेरे पिता ने बड़े सब्र के साथ हमें समझाया, ठीक है…अब चुपचाप बैठ जाओ…लेकिन हमलोगों की अपनी ही दुनिया थी…हमलोग एक सोफा से दूसरे सोफे पर कूद रहे थे, पूरी बदमाशी हो रही थी…।”

मुकेश अंबानी आगे कहते हैं, “अगली सुबह पापा ने हम दोनों को बुलाया…मुकेश-अनिल…तुम लोग दोनों यहां से बाहर जाओ…आज से तुम दोनों अगले दो दिनों के लिए गैराज में रहने वाले हो, जबतक कि तुमलोग बिहैव करना नहीं सिख जाओ…और तुमलोग पछतावा ना करो…तुमलोग बाहर नहीं आने वाले हो, मेरी मां ने पापा से मनुहार की-अभी छोटे बच्चे हैं इन्हें छोड़ दीजिए…हमलोग सचमुच में दो दिनों तक गैराज में रहे…हमें सिर्फ रोटी और पानी दिया गया। इससे हमें एहसास हुआ। इस दौरान हमदोनों भाइयों के बीच प्यार भी बढ़ा। फिर हमनें कभी शरारत नहीं की। मुकेश कहते हैं हमारे पालन-पोषण को लेकर पापा का नजरिया का बड़ा अहम था।

धीरूभाई अंबानी की शख्सियत के बारे में ना जाने कितने किस्से प्रचलित हैं। मुकेश अंबानी की पत्नी नीता उन्हें याद करती हैं। दरअसल तब नीता और मुकेश की शादी नहीं हुई थी। ये कहानी मुकेश-नीता के रिश्तों की शुरुआत पर भी रोशनी डालती है। अंबानी परिवार तबतक भारत का जाना-माना नाम हो चुका था।नीता अंबानी एक डांस शो में फरफॉर्म कर रही थीं। आधा अक्टूबर गुजरने वाला था, साल था 1984। नीता सिमी गरेवाल को इंटरव्यू में बताती हैं, “मेरा डांस परफॉर्मेंस चल रहा था। दर्शकों में एक महिला थी जो मुझे देख रही थी, मुझे इसके बारे में नहीं पता था, वो मुकेश की मां कोकिलाबेन थीं, मुझे लगता है कि जब वो घर गईं तो उन्होंने मेरे बारे में पप्पा, धीरूभाई से बात की होगी।”

नीता आगे बताती हैं, “दो या तीन दिन के बाद मुझे फोन कॉल आया, फोन करने वाले ने कहा- हैलो मैं धीरूभाई अंबानी हूं…क्या मैं नीता से बात कर सकता हूं, मैंने सोचा ये जरूर मजाक कर रहा है, मैंने फोन रख दिया।” नीता कहती हैं, “फोन की घंटी फिर बजी…बोलने वाले ने फिर से कहा- हैलो मैं धीरूभाई अंबानी हूं…क्या मैं नीता से बात कर सकता हूं, मुझे सचमुच में बहुत गुस्सा आया…मैं पढ़ रही थी, मेरी परीक्षाएं थीं, मैंने सोचा ये प्रैंक कॉल है, मैंने कहा-यदि आप धीरूभाई अंबानी हैं तो मैं एलिजाबेथ टेलर हूं, इतना कह मैंने फिर से फोन रख दिया। फोन की घंटी फिर बजी, इस बार मैंने सोचा मैं फोन नहीं उठाउंगी और मैंने अपने पापा को फोन उठाने कहा। उन्होंने फोन उठाया। स्पीकर पर आवाज सुनते ही पापा का चेहरा बदल गया, क्योंकि वो सचमुच में धीरूभाई अंबानी ही थे। उन्होंने मुझे फोन दिया और कहा-नीता..प्लीज बात करो, और ढंग से बात करो…मैं फोन लाइन पर आई और कहा-गुड इवनिंग अंकल और इस तरह से अंबानी परिवार से मेरी बात शुरू हुई।”

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