नगरीय निकाय चुनाव : योगी सरकार की पहली चुनावी परीक्षा, वर्चस्व बरकरार रखने की चुनौती
त्तर प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियां अगले महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव को बेहद गम्भीरता से ले रही हैं, मगर ये चुनाव खासकर भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। पिछले चुनाव में इसी पार्टी ने अन्य दलों पर अपना वर्चस्व कायम किया था और इस बार उसके सामने इसे दोहराने की कड़ी चुनौती है। वर्ष 2012 में हुए नगर निकाय के चुनाव में राज्य में महापौर के 12 में से 10 पदों पर भाजपा ने कब्जा किया था और नगर पालिका परिषदों तथा नगर पंचायतों में भी वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। भाजपा इस साल मार्च में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी। ऐसे में आगामी नगर निकाय चुनाव प्रदेश की योगी सरकार की पहली चुनावी परीक्षा होंगे।
इस चुनाव को लेकर भाजपा की गम्भीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री योगी द्वारा प्रमुख निकाय क्षेत्रों में रैलियां करने की तैयारी है। इससे पहले शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने निकाय चुनावों को इतनी गम्भीरता से लिया है। भाजपा के प्रान्तीय महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने नगर निकाय चुनावों में एक बार फिर भाजपा की जीत का विश्वास व्यक्त करते हुए ‘भाषा’ से कहा कि यह सही है कि नगर निगमों और नगर पालिकाओं के पिछले चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है लेकिन ‘एंटी इंकम्बेंसी’ जैसी कोई बात नहीं है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास कार्यों के बलबूते निकायों में फिर सरकार बनाएगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी का प्रयास है कि योगी के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा और अन्य वरिष्ठ नेता भी निकाय चुनाव प्रचार में उतरें। पार्टी राज्य सरकार की पिछले छह माह की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएगी। अधिकांश सीटें हम जीत रहे हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012 में हुए नगर निकाय चुनाव में 12 में से 10 नगर निगमों मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा, कानपुर नगर, झांसी, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में भाजपा के महापौर जीते थे। दो अन्य सीटों बरेली तथा इलाहाबाद पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए थे। इस बार मथुरा, फिरोजाबाद, फैजाबाद और सहारनपुर के रूप में चार और नगर निगम क्षेत्र बनाए गए हैं, जो पहली बार निकाय चुनाव के दौर से गुजरेंगे।
इसके अलावा, नगर पालिका अध्यक्ष के 194 पदों में से 42 पर भाजपा ने और 15 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। सपा का खाता भी नहीं खुला था, जबकि 130 सीटों पर निर्दलीय अथवा अन्य दलों द्वारा सर्मिथत प्रत्याशी जीते थे। पांच सीटें अन्य के खाते में गई थीं। इसके अलावा 423 नगर पंचायतों में से 36 में अध्यक्ष के पद पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, जबकि 21 पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। वर्ष 2012 के चुनाव में प्रदेश के 12 नगर निगमों में पार्षद के 980 पदों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 304 सीटें जबकि कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थीं। इसी तरह नगर पालिका परिषद सभासद के कुल 5077 पदों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 506 जबकि कांग्रेस ने 179 सीटों पर कब्जा जमाया था। साथ ही 4323 सीटें निर्दलीय अथवा सर्मिथत प्रत्याशियों ने जीती थीं।