नगर निकाय चुनाव में टूटा कांग्रेस-सपा का गठबंधन
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के पूर्व हुआ गठबंधन टूट गया है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि सिर्फ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था। गठबंधन कोई विवाह नहीं जो स्थाई हो। गठबंधन को लेकर ऐसी ही प्रतिक्रिया कांग्रेस की भी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता वीरेंद्र मदान कहते हैं, नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस पूरे उत्तर प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, दोनों ने उत्तर प्रदेश की 198 नगर पालिका परिषद, 438 नगर पंचायत, 16 नगर निगमों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। कांग्रेस अपने गढ़ इलाहाबाद में समाजवादी पार्टी का सहयोग महापौर पद के लिए चाहती थी।
लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब तक इस मसले पर अपनी सहमति कांग्रेस को प्रदान नहीं की है। इसे लेकर भी दोनों ही राजनीतिक दलों के बीच फिलहाल तल्खी बरकरार है। कांग्रेस इलाहाबाद से अपने पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह को महापौर पद के लिए प्रत्याशी बनाने का मन बना चुकी है। लेकिन समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के इस गढ़ में कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती।
कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर जनसत्ता से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था। नगर निकाय चुनाव में दोनों ही दल बिना गठबंधन के अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। वे कहते हैं, यह दो राजनीतिक दलों के बीच का गठबंधन था, कोई विवाह नहीं जो सात जन्मों तक निभाया जाए। प्रत्येक चुनाव में सियासी समीकरण नया रूप लेते हैं। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा, अथवा नहीं? यह बता पाना अभी दूर की कौड़ी है।
उधर कांग्रेस भी समाजवादी पार्टी की भाषा में नगर निकाय चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन की बात को सिरे से खारिज कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र मदान ने कहा, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास वह कूवत है कि वह किसी भी चुनाव में अकेले मैदान में उतर सके। रही बात निकाय चुनावों की, तो उसमें कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में कूदेगी। पार्टी ने सभी वार्डों में अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों ही दनों के बीच गठबंधन के सवाल पर वीरेंद्र मदान कहते हैं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस किस रणनीति के आधार पर उतरेगी? यह तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा, लेकिन नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस बिना समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के चुनाव मैदान में उतर रही है। यह बात तय है।
कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर पहले से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में मतभेद था। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक मंचों से कई मर्तबा अखिलेश यादव को चेतावनी दी थी कि कांग्रेस के साथ गठबंधन का समाजवादी पार्टी को नुकसान होगा। लेकिन उस वक्त बिना वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर ध्यान दिए अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन का एलान कर दिया था।