नये लुक में राहुल की कांग्रेस, दलितों-आदिवासियों, अल्पसंख्यकों-महिलाओं पर फोकस, बैलेट पेपर से चुनाव की मांग

कांग्रेस ने 2019 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए आज (17 मार्च को) अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि वह सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ सहयोग करने के लिए ”साझा व्यावहारिक कार्य प्रणली विकसित” करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में आज यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पार्टी के 84वें महाधिवेशन के दौरान पेश किये गये राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने आगामी आम चुनाव को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा किया है। दो दिवसीय महाधिवेशन में इस प्रस्ताव पर विस्तृत विचार विमर्श कर इसे अपनाया जाएगा। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पेश किये गये इस प्रस्ताव को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसी के माध्यम से पार्टी लोकसभा सहित अगले चुनावों में अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने की अपनी दिशा निर्धारित करेगी।

प्रस्ताव में कहा गया है, “आज हमारे संवैधानिक मूल्यों की बुनियाद पर खतरा पैदा हो गया है। हमारी आजादी खतरे में है। हमारे संस्थानों पर भारी दबाव है और उनकी आजादी से समझौता हो रहा है। हमें, अपने गणराज्य को हर कीमत पर बचाना होगा।” पार्टी ने इसमें कहा, “हमारे संविधान के मूल चरित्र की रक्षा के लिए जिस प्रकार के बलिदान की जरूरत होगी, उसे देने के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है। हम भाजपा राज के दौरान पतन के कगार पर पहुंच चुकी इस राजनीति की सफाई करेंगे, जो भारत के लोगों से की गयी अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाने में नाकाम रही है।”

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर एवं फूलपुर के हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत न बच पाने के बाद पार्टी पर इस बात का भी दबाव पड़ रहा है कि वह विपक्षी दलों की एकता के लिए अपनी अग्रणी भूमिका के आग्रह छोड़े। वैसे हाल में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 20 विपक्षी दलों के नेताओं को रात्रिभोज दिये जाने और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिलने के लिए जाना, राजनीतिक हल्कों में इस तरह से देखा जा रहा है कि कांग्रेस आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास तेज करना चाहती है।

कांग्रेस के राजनीतिक प्रस्ताव में लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव के प्रस्ताव को “भाजपा की चाल” बताते हुए इस प्रस्ताव को गलत करार दिया गया है। पार्टी ने इसके लिए राष्ट्रीय सहमति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। कांग्रेस ने आगाह किया कि एक साथ चुनाव करवाये जाने के गंभीर परिणाम होंगे। पार्टी ने अपने इस प्रस्ताव में चुनाव प्रक्रिया को लेकर भी कुछ आशंकाएं व्यक्त की है। इसमें कहा गया है, “जनमत के विपरीत परिणामों में हेराफेरी करने के लिए ईवीएम के दुरूपयोग को लेकर राजनीतिक दलों एवं आम लोगों के मन में भारी आशंका है।”

प्रस्ताव में कहा गया कि निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को मतपत्र के पुराने तरीके को फिर से लागू करना चाहिए क्योंकि अधिकतर दलों एवं आम लोगों के मन में भारी आशंकाएं हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस प्रस्ताव के जरिये न्यायिक प्रणाली में तुरंत सुधारों की जरूरत पर भी बल दिया है। इसमें दलबदल को लेकर भी चिंता जतायी गयी है। इसमें कहा गया है कि पार्टी राजनीतिक स्थिरता कायम करने के लिए धन-बल के खुलेआम दुरूपयोग पर रोक लगाकर दल बदलुओं को छह साल के लिए किसी भी चुनाव से लड़ने से वंचित करेगी। प्रस्ताव में महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, आरएसएस—भाजपा, भ्रष्टाचार, आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा तथा आंध्र प्रदेश एवं मीडिया के मुद्दों पर भी चर्चा की गयी।

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