नरेंद्र मोदी को मंदिर बनवाने की याद दिलाने के कारण कटा विनय कटियार का राज्यसभा टिकट?

भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े और पांच बार के सांसद विनय कटियार का टिकट काट दिया है। कटियार ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने यूपी में राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाने में अहम योगदान दिया। 1984 में दो लोकसभा सीटों से बीजेपी अगर 1989 में 85 सीटों के आंकड़े तक पहुंच सकी तो इसमें कटियार की भूमिका कम नहीं रही। मगर उत्तर प्रदेश में खाली हुई दस सीटों के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया, जबकि उनसे जूनियर कई नेताओं को मैदान में उतारा है। इसको लेकर कटियार के समर्थकों और पार्टी के अंदरखाने चर्चा शुरू हो गई है। कटियार के करीबियों का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने और आडवाणी को समर्थन देने की उन्हें कीमत चुकानी पड़ी है। इस समय जिन आठ नेताओं को बीजेपी यूपी से राज्यसभा के लिए भेज रही है, सभी कटियार से जूनियर हैं। इसमें अरुण जेटली, विजय पाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव, अशोक बाजपेयी। जेटली, राव राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हैं, जबकि अशोक बाजपेयी सपा छोड़कर भाजपा में आए हैं। बाकी पांच नेताओं की उत्तर प्रदेश में ही ज्यादा पहचान नहीं है।

विनय कटियार 2006 से राज्यसभा सदस्य हैं। दो अप्रैल को कार्यकाल खत्म हो रहा है। इससे पहले फैजाबाद से तीन बार के लोकसभा सांसद रहे। मग अब पार्टी की ओर से टिकट काटे जाने पर 27 साल बाद वे संसद की दहलीज पर नहीं पहुंच सकेंगे। टिकट क्यों कटा, इसके कारणों को लेकर पार्टी के अंदरखाने तरह-तरह की चर्चाएं हैं।कहा जा रहा है कि कई मामलों में मुखर होने के कारण उन्हें बीजेपी का वर्तमान शीर्ष नेतृत्व पसंद नहीं करते। विनय कटियार पिछले साल सीबीआई पर बीजेपी के दिग्गजों के खिलाफ राम मंदिर आंदोलन से जुड़े पुराने केस खुलवाने की साजिश का आरोप लगा चुके हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरोपों को खारिज कर दिया था, मगर सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय में केस को जीवित रखने की अपील की थी।

कटियार सार्वजनिक रूप से लालू यादव के उन आरोपों का समर्थन कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति की दौड़ से आडवाणी को बाहर करने के लिए जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। बता दें कटियार ने 1970 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघसे जुड़े और उन्होंने 1982 में मंच और फिर 1984 में बजरंग दल की स्थापना की। बजरंग दल की स्थापना राम भक्तों को ट्रेनिंग देने के लिए हुई। पार्टी सूत्र बताते हैं कि संघ विचारक केएन गोविंदाचार्य के समय विनय कटियार की राजनीति बीजेपी में चमकी। बाद में गोविंदाचार्य वर्ष 2000 में भाजपा से बाहर चले गए।

पार्टी सूत्र बताते हैं कि पहले बीजेपी को ब्राह्मण और बनियों की पार्टी के तौर पर लोग जानते थे। इस पर संघ विचारक केएन गोविंदाचार्य को लगा कि राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन से बीजेपी की पैठ सभी जातियों में बढ़ाकर ब्राह्मण और बनियों की पार्टी के ठप्पे से निजात दिलाई जा सकेगी। इस मिशन को यूपी में ओबीसी चेहरे विनय कटियार ने उठाया। मगर, अब जाकर विनय कटियार का टिकट काटे जाने पर पार्टी के अंदर ही सवाल उठने शुरू हुए हैं।

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