नरेंद्र मोदी ने मगहर से चुनावी बिगुल फूंकने का क्यों किया फैसला, ये रहा जवाब
			प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पूर्वी उत्तर प्रदेश के कस्बे मगहर के दौरे पर हैं। मगहर में महान कवि और समाज सुधारक कबीर दास की मजार स्थित है, जिस पर पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ मत्था टेकने पहुंच चुके हैं। बता दें कि पीएम मोदी के मगहर दौरे को राजनैतिक रुप से काफी अहम माना जा रहा है। राजनैतिक विशलेषकों का मानना है कि अपने मगहर दौरे से पीएम मोदी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने जहां राम मंदिर का मुद्दा उठाकर लोकसभा चुनाव के लिए समर्थन पाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं पीएम मोदी की कोशिश है कि वह अभी भी ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र पर आगे बढ़ें। यही वजह है कि जहां विकास के नाम पर पीएम मोदी लोगों को अपने साथ जोड़ने में जुटे हैं, वहीं कबीर दास की मजार पर मत्था टेककर पीएम मोदी ने दलितों और पिछड़ों का समर्थन पाने की कोशिश की है।
हाल ही में अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में भी पीएम मोदी ने कबीर दास का जिक्र किया था। 15वीं शताब्दी के इस महान कवि की सीख के बारे में चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि कबीर दास ने लोगों से अपील की थी कि वह जाति और धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर ज्ञान और बुद्धिमानी का एकमात्र आधार बनें। हालांकि काफी संख्या में लोगों ने कबीर दास के लिए पीएम मोदी के अचानक उठे प्यार पर सवाल भी खड़े किए थे, लेकिन राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले लोग जानते हैं कि पीएम मोदी कबीर के बहाने दलितों और पिछड़े तबके के लोगों के मन में अपने लिए जगह बनाना चाहते हैं। हाल के दिनों में जिस तरह उप-चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है, उससे यकीनन भाजपा की बैचेनी बढ़ी है। भाजपा की उप-चुनावों में हार का मुख्य कारण बसपा और सपा का साथ आना है, जिनका मुख्य वोटबैंक दलित और पिछड़े ही हैं। यही वजह है कि भाजपा, पीएम मोदी के मगहर दौरे और कबीर दास की मजार पर मत्था टेकने के बहाने दलितों-पिछड़ों का समर्थन पाने और अपना खोया हुआ आत्मविश्वास पाने की उम्मीद कर रही है।
हालांकि भाजपा पीएम मोदी के मगहर दौरे से राजनैतिक लाभ लेने की बात को पूरी तरह से नकार रही है। भाजपा नेता और एमएलसी विजय बहादुर पाठक का कहना है कि हमारे लिए कबीर दास राजनीति नहीं बल्कि विश्वास के प्रतीक हैं। हमारी पार्टी और सरकार ने हमेशा कबीर दास के विचारों पर चलने की कोशिश की है। जिस तरह कबीर दास दबे-कुचले वर्ग के लोगों के शोषण के खिलाफ खड़े हुए उसी तरह भाजपा भी सबका साथ और सबका विकास के मूलमंत्र में विश्वास रखती है। दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओँ का कहना है कि कबीर दास हमेशा पाखंड के खिलाफ लड़े और पीएम का पाखंड मगहर में खुलकर सामने आएगा। लोग अब इस तरह की चालबाजियों में नहीं फंसने वाले।
क्या है मगहर की मान्यताः गोरखपुर के नजदीक स्थित संत कबीरनगर में मौजूद कस्बे मगहर को धार्मिक मान्यताओं में वाराणसी के बिल्कुल विपरीत माना जाता है। दरअसल पुरानी धार्मिक मान्यता रही है कि जो व्यक्ति मगहर में अपने प्राण त्यागता है, वह नर्क में जाता है, जबकि वाराणसी में अपने प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है, यही वजह है कि मगहर और वाराणसी को एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत माना जाता है। इन धार्मिक मान्यताओं का जीवन भर विरोध करते रहे कबीर दास ने अपने जीवन के अंत समय में भी इसका जमकर विरोध किया। दरअसल कबीर दास ने मगहर में ही अपने प्राण त्यागे और यहीं पर उनकी मजार स्थित है। बता दें कि मगहर में मोदी सरकार संत कबीर अकादमी की स्थापना करने जा रही है। गुरुवार को पीएम मोदी ने इस कबीर अकादमी की आधारशिला भी रखी। 24 करोड़ की लागत से बनने वाली इस अकादमी में पार्क, पुस्कालय के अलावा कबीर पर शोध भी होगा।
