नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ यशवंत सिन्हा ने फिर खोला मोर्चा, बोले-जजों की तरह बिना डरे बोलें मंत्री
सरकार पर ताजा हमला बोलते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने शनिवार (13 जनवरी) को अपनी पार्टी के सदस्यों और मंत्रियों से सुप्रीम कोर्ट के जजों की तरह ‘‘अपने डर से छुटकारा पाने’’ और ‘‘लोकतंत्र के लिए आगे आकर बोलने’’ को कहा। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने शुक्रवार को चीफ जस्टिस के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बयान दिए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने चारों जजों के टिप्पणियों के संदर्भ में दावा किया कि वर्तमान माहौल 1975- 77 के आपातकाल जैसा है। उन्होंने संसद के छोटे सत्रों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर संसद से समझौता किया जाता है, सुप्रीम कोर्ट व्यवस्थित नहीं है तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर सुप्रीम कोर्ट के चार सबसे वरिष्ठ जज कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे है तो हमें उनके शब्दों को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर नागरिक जो लोकतंत्र में विश्वास रखता है, उसे खुलकर बोलना चाहिए। मैं पार्टी (भाजपा) नेताओं और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से आगे आकर बोलने के लिए कहूंगा। मैं उनसे डर से छुटकारा पाकर बोलने की अपील करता हूं।’’ सिन्हा ने कहा कि चार वरिष्ठ जजों द्वारा देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ शुक्रवार को लगभग विद्रोह करने के बाद संकट सुलझाना शीर्ष अदालत का काम है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की तरह प्रधानमंत्री भी सरकार में वैसे तो बराबर हैं, लेकिन अनौपचारिक रूप से पहले आते हैं और उनके कैबिनेट सहयोगियों को आगे आकर बोलना चाहिए।
वहीं शीर्ष अदालत में काजकाज को लेकर सवाल उठाने वाले चार जजों में से एक जस्टिस कुरियन ने शनिवार को एक बार फिर साफ किया कि उन्होंने जो किया, न्यायपालिका के हित में किया। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि जजों की प्रेस कॉन्फ्रेस ने किसी तरह के अनुशासन को तोड़ा है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट प्रबंधन में पारदर्शिता लाने वाला कदम बताया। जस्टिस कुरियन के पैतृक घर में जब कुछ स्थानीय समाचार चैनलों ने उनसे पिछले दिन की घटना को लेकर आगे के कदम के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा- न्याय और न्यायपालिका के साथ वह खड़े हैं जैसा कि उन्होंने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि एक मुद्दा सामने आया है, जिसे निश्चितरूप से सुलझा लिया जाएगा। जस्टिस कुरियन ने कहा कि ऐसा केवल इसलिए किया गया ताकि लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ सके।