नाबालिगों से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा से ऐसी घटनाएं नहीं रुकती, सोशल एक्टिविस्ट्स की अपील
सामाजिक मुद्दों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं के एक समूह ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल से उनकी भूख हड़ताल खत्म करने और नाबालिगों से बलात्कार करने के दोषियों को मौत की सजा देने की मांग पर फिर से विचार करने की अपील की है। इसके पीछे कार्यकर्ताओं का तर्क है कि मौत की सजा से ऐसी घटनाओं पर लगाम लग सकती है इसके कोई प्रमाण नहीं मिलते। स्वाति को लिखे एक खुले खत में कार्यकर्ताओं ने कहा कि नाबालिगों से बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा वाली उनकी मांग से वे बेहद चिंतित हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि एक वैधानिक निकाय के प्रमुख के तौर पर उनका यह समझना जरूरी है कि उनकी यह मांग महिला आंदोलनों के उसूलों के खिलाफ है जिनके कई प्रतिनिधि फांसी की सजा का विरोध करते हैं।
कार्यकर्ताओं ने खत में कहा , ‘‘ नाबालिग से बलात्कार करने वालों के लिए फांसी की सजा की आपकी मांग हमें कुछ मौलिक मुद्दे और चिंताओं को उठाने के लिए मजबूर कर रही है। ’’ ‘‘ ऐसे कोई प्रमाण नहीं हैं कि फांसी की सजा से बलात्कार के अपराध पर रोक लग सकती है। सबसे महत्वपूर्ण कारक जिससे इसे रोका जा सकता है वह है सजा मिलने की सुनिश्चितता न कि उसकी कठोरता। ’’ उन्होंने कहा कि असल में फांसी की मांग अक्सर असल मुद्दे की गंभीरता से ध्यान भटका देती है।
असल मुद्दे हैं उन संस्थानों की जवाबदेही तय करना जिन्हें हिंसा खत्म करने की जिम्मेदारी , व्यवस्था और प्रणाली में बदलाव करने और पितृसत्तात्मक सामाजिक कायदों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का कार्य सौंपा गया है जो लैंगिक और अन्य प्रकार की असमानताओं उत्पन्न करते हैं। पत्र वृंदा ग्रोवर, कविता कृष्णन, इंदिरा जय सिंह, एनी राजा, भारती अली, अखिला शिवदास, मैमूना मोल्लाह, पमेला फिलिपोज और एस तबन एवं अन्य द्वारा लिखा गया है।