नाबालिग की शादी में शामिल हुए तो जाएंगे जेल
जनपद में बाल विवाह रोकने के लिए सरकारी महकमे ने होमवर्क शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रोबेशन विभाग द्वारा जल्द ही ग्राम प्रधानों व अन्य जनप्रतिनिधियों के जरिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की योजना शुरू कर दिया गया है। बाल विवाह में शिरकत करने वाले न सिर्फ मां-बाप, बल्कि अन्य घराती व बराती और टेंट, कैटरर्स व पंडित और मौलवी भी दोषी माने जाएंगे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनपद में बाल विवाह पांच फीसद से अधिक है, जिसमें नाबालिग लड़कियों की शादी होती है यह तथ्य जानकर विभाग ने इसकी रोकथाम के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया है।
पूर्वांचल के पिछड़े इलाके में होने और साक्षरता की दर में कमी होने के कारण गरीब व अन्य वर्ग के लोगों में जागरूकता का अभाव होने के कारण लोग अपनी लड़कियों के हाथ जल्द ही पीला करना चाहते हैं, जिसमें बलि का बकरा नाबालिग लड़कियां बनती हैं और कम उम्र में लड़कियों की शादी होने के कारण वह जल्द ही मां भी बन जाती हैं, जिससे वह न तो अपना खयाल रख पाती हैं और न ही अपने बच्चे का। जनपद में इस बाल विवाह को रोकने के लिए चाइल्ड वेलफेयर कमेटी गठित करने की योजना चल रही है, जो कि गोपनीय तरीके से जनपद में हो रहे विवाह की सूचना संकलित करेगी और यदि मामला बाल विवाह का निकलेगा तो दोनों पक्षों पर कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रोबेशन अधिकारी विजय कुमार पांडेय ने बताया कि बाल विवाह गैरकानूनी है, जिसका कड़ाई से पालन कराने के लिए विभाग ने कमर कस लिया है। जनपद में पांच फीसद से अधिक नाबालिग लड़कियों का विवाह प्रतिवर्ष होता है, जिसको रोकने की कवायद शुरू की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जागरूकता अभियान फैलाया जाएगा। ग्राम प्रधानों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा वाहन, टेंट व कैटरर्स मालिकों के साथ भी एक बैठक किया जाएगा, जिसमें उनको यह बताया जाएगा कि बुकिंग करते समय लड़की व लड़के के उम्र के बारे में पूछताछ करें और जरूरी हो तो शपथ-पत्र भी लें और उसके बाद भी संदेह हो तो विभाग को सूचित करें। उन्होंने बताया कि शादी समारोह संपन्न कराने वाले पंडित व मौलवी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी यदि कोई लड़की नाबालिग पाई जाती है और शादी-विवाह में शिरकत करने वाले नाते-रिश्तेदारों पर भी कड़ी कार्रर्वाई की जाएगी।