निर्भया के माता-पिता ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा – ऐसे दोषियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी। यह फैसला तीनों जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से लिया। फैसला सुनते ही निर्भया के माता-पिता ने राहत की सांस ली और फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि दोषी अब राष्ट्रपति से दया की गुहार लगा सकते हैं, लेकिन फांसी की जो सजा उनके लिए मुकर्रर है वह बरकरार रहेगी, ऐसा उनका विश्वास है। 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी मामले के चारों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत से मिली फांसी की सजा बरकरार रखी थी और तीन दोषियों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

फैसले पर खुशी जताते हुए निर्भया की मां आशा देवी और पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि समाज के लिए, खासकर महिलाओं के लिए इस तरह के फैसले राहत देने वाले हैं। इससे साबित होता है कि अमानुषिक कृत्य की एक सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है और इस तरह के कृत्य करने वालों के लिए कानून में कोई रहम नहीं है। वे नाबालिग नहीं हैं, दुख की बात है कि उन्होंने इस तरह के अपराध को अंजाम दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानून के प्रति विश्वास बहाल करता है। हमें न्यायपालिका पर भरोसा था, है और आगे भी रहेगा।

निर्भया के पिता ने कहा कि हमें पहले से ही पता था कि दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज होगी क्योंकि इस मामले में हर तरह की तहकीकात और बारीकियां जांचने-परखने के बाद ही सजा सुनाई गई थी। इस मामले को काफी समय बीत चुका है और इस दौरान महिलाओं के लिए खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है। मुझे उम्मीद है कि दोषी जल्द ही फांसी पर लटकेंगे। अदालत ने यह भी कहा है कि जिन मुजरिमों को मौत की सजा सुनाई गई है वे शीर्ष अदालत के निर्णय में कोई भी त्रुटि बताने में असफल रहे। कानून से बड़ा कोई नहीं होता और खासकर ऐसे मामले में, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया हो। सिंह दंपति का कहना था कि पुनर्विचार याचिका के बाद मन में कुछ संशय था, लेकिन विश्वास था कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा। बता दें कि राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस दिल दहला देने वाली घटना के कुछ दिन बाद ही सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

दिल्ली महिला आयोग करेगा जल्द फांसी की मांग

निर्भया मामले के तीन दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले के बाद महिला संगठनों और कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि फैसले को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचाया जाए। उन्हें आशंका है कि दोषियों की ओर से मामले को कानूनी बारीकियों में उलझाने की कोशिश हो सकती है। वहीं दिल्ली महिला आयोग तिहाड़ जेल और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग करेगा। महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे न केवल निर्भया की आत्मा को शांति मिलेगी, बल्कि देश की सैकड़ों निर्भयाओं को न्याय की उम्मीद मिली है, बशर्ते फैसले को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचाया जाए। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छह साल बीत गए, लेकिन निर्भया के कातिल जिंदा हैं। अभी पुनर्विचार याचिका तो खारिज हो गई है, लेकिन दोषियों के पास और भी तरीके हैं जिससे वे बचने की कोशिश कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आयोग, तिहाड़ जेल और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर रहा है कि जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए, नहीं तो देश में संदेश जाएगा कि कोई कुछ भी करे उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा’। सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि इस फैसले से निर्भया की आत्मा, उसके परिवार, देश की जनता और खासकर महिलाओं को न्याय व्यवस्था पर विश्वास हो गया है। लेकिन मामले को छह साल हो गए हैं और चार दोषियों में से एक अभी पुनर्विचार याचिका दायर करेगा, उसके बाद वे राष्ट्रपति के पास क्षमा याचना के लिए जाएंगे। ऐसे में राष्ट्रपति को अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए जल्द फैसला लेना होगा, क्योंकि और देरी से गलत संदेश जाएगा।

रंजना कुमारी ने कहा कि निर्भया की घटना के बाद देश में बलात्कार के मामलों में तीन गुना इजाफा हो चुका है। कठुआ, उन्नाव, और मंदसौर का उदाहरण सामने है। इन्हें रोकने का एक ही तरीका है कि एक स्पष्ट और कड़ा संदेश जाए कि किसी बलात्कारी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतना लंबा समय लगा लेकिन देर आए दुरुस्त आए। उन्होंने आशा जताई कि फैसले की अंजाम तक पहुंचाने में अब और देरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर जल्द फांसी की सजा नहीं दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा और बलात्कारियों के हौसले बुलंद होंगे।

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