नीतीश के इस दांव से बढ़ सकता है जेडीयू का वोट बैंक, केंद्र के पाले में गेंद
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य की अत्यधिक पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) से ताल्लुक रखने वाली कई जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी गयी है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिन ईबीसी जातियों को एसटी का दर्जा देने का अनुरोध किया गया है उनमें मल्लाह, नोनिया और निषाद समुदाय की सभी उपजातियां शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि निषाद समुदाय की उप जातियों में बिंद, केवट, वनपर, गोधी, सुरहिया, खुलवट, तीयर, चायीं और बेलदार शामिल हैं। विज्ञप्ति के मुताबिक प्रस्ताव केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा गया है।
बता दें कि राज्य में अत्यधिक पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 30 फीसदी है। यह सभी राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक रहा है। इसी वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए इसे पिछड़ा वर्ग से अलग कर अत्यधिक पिछड़ा वर्ग का दर्जा दिया गया था। नीतीश कुमार ने उसी अति पिछड़े वर्ग से जुड़ी कुछ जातियों को एसटी का दर्जा देने की कोशिशों में जुटे हैं। माना जाता है कि राज्य के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों खासकर गंगा के दोनों किनारों में निषाद जाति की अच्छी आबादी है। ये पारंपरिक रूप से नाविक का काम करते हैं। बिहार की 10 करोड़ आबादी में इसका हिस्सा करीब 1.75 करोड़ है। निषाद की 20 उपजातियां हैं जिनकी जिंदगी नदियों से जुड़ी हैं।
साल 2014 में निषाद-मल्लाह और नोनिया जाति ने बीजेपी के पक्ष में लामबंदी दिखाई थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने 2015 के विधान सभा चुनावों से पहले इन्हें अपने पाले में कर लिया था और उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का वादा किया था। उसी वादे के मुताबिक अब नीतीश सरकार ने प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास फेंका है। बता दें कि पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इन्हें एसटी का दर्जा मिला हुआ है। दिल्ली में भी इन जातियों को एसटी की सूची में शामिल किया गया है। निषाद समुदाय ने अपनी जाति को एसटी में शामिल करने के लिए इसी साल फरवरी में पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में शक्ति प्रदर्शन किया था।