‘नेहरा के आखिरी मैच में एक्स्ट्रा पास पाने के लिए इतना गिर गए नगर निगम अधिकारी और दिल्ली पुलिस’

दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक रिटायर्ड जस्टिस विक्रमजीत सेन ने फिरोज शाह कोटला मैदान में 1 नवंबर को हुए टी-20 मैच को लेकर बड़ा खुलासा किया है। विक्रमजीत सेन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि भारत-न्यूजीलैंड के बीच खेले गए पहले टी-20 मैच के दौरान एक्स्ट्रा पास पाने के लिए दिल्ली पुलिस और नगरपालिका अधिकारियों ने मुश्किलें खड़ी करने की कोशिशें की थीं। उन्होंने बताया कि मैच में टॉस होने के तुरंत पहले ही दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने उस किचन के दरवाजे में ताला लगा दिया था जहां क्रिकेटर्स के लिए डिनर बनाया जा रहा था और ये सब केवल एक्स्ट्रा पास पाने के लिए किया गया। उन्होंने कहा, ‘क्रिकेटर्स के किचन को केवल इसलिए बंद कर दिया गया था क्योंकि उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार पास नहीं मिले थे… जब 3.25 बजे के करीब एक्स्ट्रा पास उन्हें दिए गए तब जाकर क्रिकेटर्स के किचन का दरवाजा खोला गया था।’

जस्टिस सेन ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दिया है कि दिल्ली पुलिस ने बिना टिकट के ही एंट्री दी, जिसकी वजह से उस मैच में स्टेडियम में लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो गई थी। लोगों की संख्या स्टेडियम की क्षमता से भी ज्यादा हो गई थी। विक्रमजीत सेन के मुताबिक दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कैटरिंग के ट्रकों को भी प्रवेश की अनुमति केवल इसलिए नहीं दी, क्योंकि उन्हें उतने पास नहीं दिए गए थे जितने वे चाहते थे। सेन ने कहा, ‘ऐसा करके मैच में मदद देने की बजाय केवल मुसीबत खड़ी करने का काम किया गया।’ एक नवंबर के मैच के पहले दिल्ली ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने कार पार्किंग के लिए 250 में से केवल 60 पास दिए थे। जब जस्टिस सेन ने कार पासों की संख्या में कमी को लेकर पुलिस को लिखा तब कहीं जाकर 20 पास एंबुलेंस के लिए और कुछ पास गार्बेज ट्रकों के लिए दिए गए।

जस्टिस सेन ने कहा, ‘मैच के दौरान सबसे बड़ी बाधा तो कुछ सरकारी ऑर्गेनाइजेशन ही बने, विशेषकर पुलिस। हमारे पास सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें साफ दिख रहा है कि पुलिस ने मैच के दौरान भी कुछ लोगों को स्टेडियम में एंट्री दी। यह सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा था, क्योंकि एक इंटरनेशनल मैच उस वक्त खेला जा रहा था। वो बस एक्स्ट्रा पास की मांग करते रहे, लेकिन आप कितने पास दे सकते हो?’ हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त डीडीसीए के प्रशासक जस्टिस ने कहा, ‘सरकारी विभाग के लोगों को इस बात को समझना होगा कि उनके पास उनका काम है और उन्हें अपना काम ही करना चाहिए। उनके पास बाकी नागरिकों से ज्यादा अधिकार नहीं है। अगर देश के बाकी नागरिक को पास नहीं दिया जा रहा है तो उन्हें क्यों दिया जाएगा। पास पाने के लिए उन्होंने जो तरीका अपनाया वह सही नहीं था, किसी ना किसी को इस मामले में कदम उठाना चाहिए।’ बता दें कि 1 नवंबर को भारत-न्यूजीलैंड के बीच खेला गया पहला टी-20 मैच गेंदबाज आशीष नेहरा का आखिरी मैच था।

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