नोटबंदी: कम नहीं हो रही बेरोजगारी की मार, चार महीनों में चली गई 15 लाख नौकरियां

आंचल मैगज़ीन और सनी वर्मा

पिछले साल लागू की गयी नोटबंदी के बाद नौकरियां जाने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी किए गये जनवरी-अप्रैल 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार इन चार महीनों में करीब 15 लाख नौकरियां चली गईं। विभिन्न सेक्टरों के जुड़े आंकड़ों के अनुसार सभी क्षेत्रों में वित्त वर्ष 2016-17 में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में नौकरियों में कमी आयी है। बेरोजगारी के आकलन में इससे जुड़े ठोस आंकड़ों के अभाव से काफी दिक्कत होती है लेकिन भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के रोजगार सर्वे के आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को उसी रात 12 बजे से बंद करने की घोषणा के बाद से नौकरियों में कमी आई है।

सीएमआईई के अनुमान के मुताबिक जनवरी-अप्रैल 2017 के दौरान कुल 40.50 करोड़ नौकरी पेशा लोग थे जबकि उससे पहले के चार महीनों में ये संख्या 40.65 करोड़ थी। सीएमआईई का आंकड़ा अखिल भारतीय हाउसहोल्ड सर्वे पर आधारित है जिसमें पूरे देश के 161167 घरों के 519285 वयस्कों का सर्वे किया गया था। इन आंकड़ों से जाहिर है कि जनवरी से अप्रैल तक करीब 15 लाख नौकरियां चली गईं। वहीं खुद को बेरोजगार बताने वालों की संख्या 96 लाख हो गई।

ये आंकड़े प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के आंकड़ों से भी मेल खाते हैं। लोगों को रोजगार लायक बनाने के लिए चलाई गई इस विशेष योजना  पीएमकेवीवाई के जुलाई 2017 के पहले हफ्ते के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में केवल 30.67 लाख लोगों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया गया लेकिन उनमें से करीब 10 प्रतिशत (2.9 लाख) को ही नौकरी मिली। आईटी और फाइनेंस को छोड़कर अन्य सेक्टरों की 121 कंपनियों के रोजगार के आंकड़ों का अध्ययन करके इंडियन एक्सप्रेस ने पाया था कि ज्यादातर कंपनियों में नोटबंदी के बाद रोजगार में कमी आयी है।  बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध 107 कंपनियों में एक साल में कर्मचारियों की संख्या में 14,668 की कमी आयी।

हालांकि दवा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में पिछले एक साल में रोजगार की संख्या बढ़ी है। मसलन, एबोट इंडिया के कर्मचारियों में पिछले एक साल में 3127 कर्मचारियों की बढ़ोतरी हुई है। पिछले एक साल में सन फार्मा में 2769 कर्मचारी और वेदांता में 2489 कर्मचारी बढ़े। ऑटो सेक्टर की पांच बड़ी कंपनियों अशोक लेलैंड, मारूती सुजकी इंडिया, हीरो मोटोकॉर्प, आइसर मोटोर्स और महिंदा एंड महिंद्रा में कुल मिलाकर 3142 कर्मचारी बढ़े। श्रम मंत्रालय के अक्टूबर-दिसंबर 2016 की तिमाही के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के आखिरी तीन महीनों में आठ प्रमुख सेक्टरों में 1.52 लाख अस्थायी और 46 हजार कैजुअल नौकरियां चली गईं, जबकि कुल कागमारों की संख्या में 1.22 लाख की बढ़ोतरी हुई थी। सबसे ज्यादा नौकरियां निर्माण, भवन निर्माण, ट्रेड, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, होटल-रेस्तरां और आईटी सेक्टर में गईं। इन आठ सेक्टरों में जुलाई-सितंबर 2016 में 32 हजार लोग कार्यरत थे जबकि अप्रैल-जून 2016 के बीच 77 हजार लोग इन सेक्टरों में कार्यरत थे।

 

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