नोटबंदी पर बदली नीतीश की राय, अब पूछा- कितने लोगों को फायदा हुआ?

नोटबंदी का पुरजोर समर्थन करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि बैंकों की भूमिका के कारण नोटबंदी का लाभ जितना लोगों को मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में बैंकों की बड़ी भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों को सिर्फ जमा, निकासी एवं ऋण प्रदान करना ही कार्य नहीं है, बल्कि एक-एक योजना में बैंकों की भूमिका बढ़ गई है। मुख्यमंत्री पटना में राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा आयोजित 64वीं त्रैमासिक समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “देश में विकास के लिए जो धनराशि सरकार मुहैया कराती है, उसके सही आवंटन के लिए बैकों को अपने तंत्र सुदृढ़ करने होंगे। बैंक ‘ऑटोनोमस’ है, ऊपर से नीचे तक इन चीजों को देखना होगा।”

बिहार के मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री को बधाई दी। नीतीश ने ट्विटर पर मोदी को बधाई देते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सरकार के गठन के चार साल पूरे होने पर बधाई। विश्वास है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।”

बैंकिंग संस्थानों को और मजबूत करने की जरूरत बताते हुए नीतीश ने कहा कि बैंकों की भूमिका दिन-प्रतिदिन और बढ़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, “आबीआई के मानक के अनुसार पांच हजार की आबादी पर बैंक की शाखा होनी चाहिए। देश में 11 हजार की आबादी पर बैंक शाखा है और बिहार में 16 हजार की आबादी पर बैंक शाखा है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि बैंकों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ानी पड़ेगी।”

ऋण पर कड़े मापदंडों पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में क्रेडिट डिपोजिट रेसियो 50 प्रतिशत से भी कम है, जबकि राष्ट्रीय औसत 70 प्रतिशत के करीब है। उन्होंने कहा, “बिहार के लोगों में कर्ज लेने की प्रवृत्ति ज्यादा नहीं है, जो लेना भी चाहते हैं, उसके बैंकों ने कड़े मापदंड तय कर रखे हैं। उसमें उन्हें काफी परेशानी होती है।”

इस कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री प्रेम कुमार, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के वितीय सेवा विभाग के निदेशक सुधीर श्याम, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एस़ क़े मजूमदार सहित बैंकों के अधिकारी उपस्थित थे।

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