नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री बोले- मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान दे भारत तभी मिलेगा लाखों को रोजगार
नरेंद्र मोदी की सरकार देश में रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए कई योजनाएं लाई हैं, लेकिन पर्याप्त सफलता नहीं मिली है। अब नोबेल पुरस्कार विजेता और जानेमाने अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने भारत में रोजगार सृजन को लेकर दो तरीके बताए हैं। उनका कहना है कि इस पर अमल करने से रोजगार की बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। क्रुगमैन ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पर्याप्त निवेश और विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो देने की सलाह दी है। ‘मिंट’ को दिए साक्षात्कार में क्रुगमैन ने कहा, ‘भारत बहुत सी चीजों का निर्माण कर सकता है। ऐसे में भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। सेवा क्षेत्र में उच्च शिक्षा और उच्च कौशल वाले लोगों को ही रोजगार मिल पाता है, लेकिन आपको लाखों-करोड़ों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है। रोजगार के ऐसे मौके तलाशने होंगे, जिसमें सेवा क्षेत्र की तरह उच्च कौशल की जरूरत न हो। विनिर्माण क्षेत्र में ऐसे लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं। साथ ही इसका अभाव भारत के खिलाफ जा सकता है, क्योंकि रोजगार के अभाव के कारण अनुमानित विकास हासिल नहीं की जा सकती है। विकासशील देशों में रोजगार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में निवेश करना होगा।’
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का रोजगार पर असर नहीं: क्रुगमैन ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और ऑटोमेशन का रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की दलील को खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘रोजगार के लिए एआई चिंता का कारण नहीं है। इससे कुछ खास तरह की नौकरियां विस्थापित हो सकती हैं। हालांकि, भारत में सेवाओं के निर्यात और एआई के बीच प्रतिस्पर्धा की बात फिलहाल दूर की कौड़ी है।’ बता दें कि एआई और ऑटोमेशन के कारण कई क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर कम होने की बात कही जा रही है। विशेषज्ञों का आकलन है कि इनके कारण बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी प्रभावित हो सकते हैं।
अमेरिका की संरक्षणवादी नीति का नहीं पड़ेगा असर: पॉल क्रुगमैन ने अमेरिकी नीतियों का घरेलू रोजगार पर असर न पड़ने की बात कही है। डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने हाल में ही स्टील के आयात पर 25 फीसद का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। भारत और चीन समेत अनेक देशों ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया जताई है। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोजगार के अवसर प्रभावित होने की दलील देकर इस कदम की घोषणा की थी। क्रुगमैन ने अमेरिका के इस कदम पर कहा, ‘इंपोर्ट टैरिफ लगाने के बावजूद अंत में अमेरिका में नौकरियों की संख्या समान ही रहेगी। इस कदम से रोजगार के कुछ नए अवसर सृजित होंगे, लेकिन इसके कारण ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में नौकरियां जाएंगी भी क्योंकि इस सेक्टर में उच्च गुणवत्ता वाले आयातित स्टील का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रंप का मानना है कि इससे विनिर्माण केंद्रित अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा, लेकिन टैरिफ माध्यम से ऐसा संभव नहीं है।’