नोबेल पुरस्‍कार विजेता ने कहा, ”प्रगति के बावजूद भारत में आर्थिक असमानता बरकरार”

नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रूगमैन ने शनिवार को कहा कि आर्थिक मोर्चे पर भारत ने तेजी से प्रगति की है लेकिन देश में कायम आर्थिक असमानता एक मुद्दा है। क्रूगमैन ने कहा कि भारत हालांकि, पहले की तुलना में ‘व्यापार करने के लिए ज्यादा बेहतर स्थान’ बन गया है, लेकिन नौकरशाही बाधाएं अभी भी पूर्ण रूप से नहीं गई हैं, हां इसमें कमी जरूर आई है। उन्होंने कहा, “भारत ने पिछले 30 सालों में जितनी आर्थिक प्रगति हासिल की है, उतनी ग्रेट ब्रिटेन ने 150 सालों में हासिल की है। यहां चीजें बड़ी तेजी से बदली हैं..लेकिन फिर भी भारत में क्यों अभी भी गरीबी देखने को मिलती है?” न्यूज18 के ‘राइजिंग इंडिया समिट’ में क्रूगमैन ने कहा, “एक समस्या बड़े पैमाने पर आर्थिक असमानता का होना है।” उन्होंने कहा कि भारत ने आर्थिक प्रगति के मामले में बहुत बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन धन समान रूप से वितरित नहीं किया गया।

विश्व के उभरते हुए बाजारों में मध्यम श्रेणी की बढ़ती आय पर उन्होंने कहा, “जब लोग कहानी की बात करते हैं तो अक्सर उनका ध्यान चीन पर केंद्रित होता है लेकिन भारत भी कहानी का हिस्सा है.. भारत अभी भी गरीब है लेकिन उस स्तर पर नहीं जितना पहले था। भारतीय प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद करीब 12 फीसदी है जो अब अमेरिका के बराबर हो चुका है।” भारत की आर्थिक प्रगति को असाधारण करार देते हुए उन्होंने कहा कि देश जापान से आगे निकल (क्रय शक्ति के मामले में) दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था अमेरिका व चीन से पीछे होकर भी यूरोप के किसी भी देश से कहीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है।

क्रूगमैन ने कहा, “मैं थोड़ा उदारवादी हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सरकार का अर्थव्यवस्था पर अधिक दबाव होना चाहिए। भारत में लाइसेंस राज रहा है, जहां नौकरशाही बाधाएं बहुत हैं और पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो सकती लेकिन इसमें काफी कमी आई है। भारत में व्यापार करना काफी आसाम हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत 148 से 100वें स्थान पर आ गया है। यह सम्मान का तमगा नहीं है लेकिन यह पहले से बेहतर है।” क्रूगमैन के मुताबिक, नीतियों का परिवर्तन अच्छे समय पर हुआ है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा अभी भी एक समस्या है लेकिन यह पहले से बेहतर है।

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