न्यायपालिका और नेताओं से भी ‘सेटिंग’ करते हैं माओवादी- कमांडर की चिट्ठी दिखा कर टीवी चैनल ने किया दावा
हाल के समय में खबरें आयीं थी कि सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के कारण माओवादियों का मनोबल गिरा है। लेकिन अब एक चौंकाने वाली खबर आयी है, जिसके अनुसार, माओवादी अभी भी ना सिर्फ सक्रिय हैं, बल्कि माओवादियों की एक चिट्ठी में दावा किया गया है कि उनकी पहुंच न्यायपालिका के बैठे कुछ व्यक्तियों तक भी है। यह बात एक माओवादी कमांडर द्वारा दूसरे कमांडर को एक चिट्ठी में लिखी गई है, जो कि न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के हाथ लगी है। टाइम्स नाउ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस चिट्ठी के हवाले से कहा है कि आज माओवादी नेतृत्व काफी प्रभावशाली हो चुका है और उसकी पहुंच न्यायपालिका तक हो गई है।
खबर के अनुसार, चिट्ठी में दावा किया गया है कि वह अदालत के फैसले को भी अपने पक्ष में करा सकते हैं। दरअसल इस चिट्ठी के अनुसार, माओवादी आतंकी घटनाओं में दोषी पाए गए माओवादी नेता जीएन साईंबाबा को जमानत पर छुड़ाने के लिए न्यायपालिका के कुछ लोगों को अपने पक्ष में करने की बात कर रहे हैं। माओवादी जीएन साईँबाबा को नागपुर के बजाए हैदराबाद जेल में शिफ्ट कराने की कोशिश में हैं, ताकि वहां से उन्हें जमानत पर छुड़ाया जा सके। चिट्ठी में माओवादी कमांडर ने लिखा है कि जीएन साईँबाबा को हैदराबाद जेल में शिफ्ट कराने को कहा जाए। क्योंकि वारावारा राव नामक एक व्यक्ति ने वहां न्यायपालिका में कुछ शीर्ष स्तर के लोगों और राजनेताओं से बात की है, जिससे जीएन साईंबाबा को आसानी से जमानत मिल सके।
बता दें कि हाल ही में जीएन साईंबाबा की जेल से रिहाई के लिए संयुक्त राष्ट्र से जुड़े कुछ मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी भारत सरकार से गुहार लगायी थी। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा था कि हम लोग साईँबाबा के 15 से ज्यादा शारीरिक समस्याओं से जूझने की रिपोर्ट से चिंतित हैं, इनमें से कुछ गंभीर बीमारियां हैं। विशेषज्ञों ने जेल की खराब स्थितियों और अप्रशिक्षित स्टाफ की वजह से साईंबाबा का स्वास्थ्य लगातार गिरने की दलील देते हुए माओवादी नेता की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की थी। उल्लेखनीय है कि जीएन साईंबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं और साल 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार किया था। मार्च 2017 में जीएन साईंबाबा को उम्रकैद की सजा सुनायी गई थी। उसके बाद से वह नागपुर केन्द्रीय जेल में बंद हैं।