न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहा है कलकत्ता हाई कोर्ट, वकील नाराज
देश के सबसे पुराने कलकत्ता हाई कोर्ट में जजों की लगातार घटती तादाद आम लोगों और वकीलों के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है। यहां जजों की अनुमोदित संख्या 72 है लेकिन फिलहाल महज 31 जज ही हैं। इस महीने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशीथा म्हात्रे समेत दो जजों के रिटायर होने से हालात और गंभीर होने का अंदेशा है। बीते 34 महीनों से यहां किसी भी नए जज की बहाली नहीं हुई है। जजों के खाली पदों पर शीघ्र बहाली की मांग को लेकर हाल में कलकत्ता बार एसोसिएशन के बैनर तले वकीलों ने भी यहां अदालत परिसर में धरना दिया था। आंदोलनकारी वकीलों ने हाई कोर्ट में न्यायिक प्रणाली को ध्वस्त होने से बचाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक याचिका भेज कर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। धरने में शामिल वरिष्ठ वकील विकास भट्टाचार्य ने बताया कि कलकत्ता हाई कोर्ट में जजों की बहाली की दिशा में तत्काल कदम उठाने की मांग में लगभग 600 वकीलों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रपति को भेजी याचिका में कहा गया है कि अदालत से न्याय का इंतजार करने वाले लोगों का धैर्य अब खत्म हो रहा है। कानूनी तरीके से न्याय नहीं मिलने की वजह से लोग अब असंवैधानिक तरीकों का सहारा ले रहे हैं। इसमें कहा गया है कि परिस्थिति अब खतरनाक हो गई है। अब शांति व न्याय के बीच संतुलन बनाने के लिए इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाना जरूरी है।
भट्टाचार्य ने बताया कि हाईकोर्ट में लगभग सवा दो लाख मामले लंबित हैं, लेकिन यहां महज 31 जज हैं जबकि जजों की अनुमोदित तादाद 72 है। धरने में शामिल एक अन्य वकील रविशंकर चटर्जी ने कहा कि रोजाना वकीलों को आम लोगों की आलोचना का शिकार होना पड़ता है। उनको लगता है कि वकील अपने काम में दक्ष नहीं हैं, लेकिन असली समस्या जजों के खाली पद हैं।हाईकोर्ट की कायर्वाहक मुख्य न्यायाधीश निशीथा म्हात्रे ने बीते महीने की शुरुआत में जजों की बहाली नहीं हो पाने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अदालत आधे से भी कम जजों के साथ काम करने पर मजबूर है। इससे पहले बीती 12 जुलाई को हाई कोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने जजों की बहाली में देरी के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए चेताया था कि अगर इस मामले में तत्काल कदम नहीं उठाया गया तो अदालत समुचित कारर्वाई कर सकती है। बीते महीने के आखिरी सप्ताह में दो जजों के रिटायर होने से अब इस हाईकोर्ट में महज 31 जज बचे हैं। हाईकोर्ट के सूत्रों ने बताया कि सितंबर से अगले साल फरवरी के बीच सात और जज रियाटर हो जाएंगे। इस परिस्थिति से चिंतित चार स्थानीय वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है। बार एसोसिएस का दावा है कि जजों की तादाद कम होने के बावजूद लंबित मामलों की सूची में कलकत्ता हाईकोर्ट का नाम दूसरे प्रमुख हाई कोर्ट के मुकाबले नीचे है।
सुप्रीम कोर्ट कालेजियम बार एसोसिएशन के सात वरिष्ठ वकीलों की यहां जज के तौर पर बहाली की सिफारिश कर चुकी है, लेकिन केंद्र ने उसकी सिफारिशों पर अब तक अमल नहीं किया है। कुछ वरिष्ठ वकीलों ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि अगर जजों के खाली पदों पर शीघ्र बहाली नहीं हुई तो यह हाई कोर्ट महज एक सांकेतिक संस्था बन कर रह जाएगी। जजों की कमी की से एक दशक से ज्यादा अनुभव वाले न्यायाधीशों को भी एकल पीठ की अध्यक्षता करनी पड़ रही है, लेकिन इस मुद्दे पर केंद्र की चुप्पी जस की तस है।