न बिल्डिंग, न वर्कशॉप और न ही तकनीकी उपकरण। फिर भी मिल गई आईटीआई की मान्यता।

न बिल्डिंग, न वर्कशॉप और न ही तकनीकी उपकरण। फिर भी मिल गई आईटीआई की मान्यता। देश भर में धड़ाधड़ खुले राजकीय औद्यौगिक संस्थानों की मान्यता में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। इस बड़े खेल का खुलासा डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग की ऑडिट में हुआ है। कई ऐसे आईटीआई चलते मिले, जिनके पास वर्कशॉप के नाम पर साइकिल स्टैंड मिला तो कहीं भवन के नाम पर टिनशेड।निरीक्षण के लिए पहुंचे अफसर भी यह खेल देखकर हैरान हो गए। जांच में मानक के विपरीत मिले ऐसे सभी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हुई है। यह आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्किल इंडिया के लिए बड़े झटके के तौर पर है। कहा जा रहा है कि जिस ढंग से आईटीआई को आंख मूंदकर मान्यता देने का खेल चला, उससे स्किल इंडिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के हश्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल उठ रहे हैं कि जिनके पास भवन और उपकरण नहीं हैं, वहां कैसे युवाओं को ट्रेनिंग मिल रही होगी।
प्राइवेट संस्थानों की आई बाढ़ः नरेंद्र मोदी सरकार ने जब से स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया तो देश भर में आईटीआई की संख्या में काफी इजाफा हुआ। 2009 में जहां 6906 संस्थान थे, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 13353 हो गया है। इसमें से 11 हजार निजी आईटीआई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 15 प्रतिशत की दर से नए आईटीआई खुल रहे हैं। जांच में पता चला कि मानक पर खरे न उतरने वाले सभी संस्थानों को भी कौशल विकास कार्यक्रम के लिए धनराशि उपयोग को हरी झंडी दे दी गई। इसमें से कई ऐसे संस्थान रहे जिनके या तो एक ही पते रहे या फिर उन्होंने दस्तावेजों में जो पते दिए, उन पर कोई संस्थान ही नहीं मिला।

क्वालिटी काउंसिल के खिलाफ कार्रवाईः डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट को पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के सामने पेश की। पता चला कि संस्थानों को मान्यता देने में गड़बड़ी क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया( क्यूसीआई) ने की है। क्योंकि बतौर थर्ड पार्टी इसी एजेंसी के स्तर से 2012 से 2016 के बीच राजकी औद्यौगिक संस्थानों को मान्यता देने की संस्तुति की गई। जिन संस्थानों को मान्यता मिली, उनमें से सिर्फ पांच प्रतिशत नमूना जांच में ही बड़े घोटाले की पुष्टि हुई, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी संस्थानों की जांच होगी तो फिर कितना बड़े खेल का खुलासा होगा।

इस पर कमेटी ने क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।  इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग(एनसीवीटी) ने कुल 33 में से 14 आइटीआइ को मानकों पर खरा न उरने के कारण नोटिस जारी किया है। जबकि मान्यता पर सवाल उठने पर कुल 183 संस्थानों के मामले हाई कोर्ट में चल रहे हैं।इंडियन एक्सप्रेस ने जब इस मसले पर मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के अफसरों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पर कार्रवाई चल रही है।
रिपोर्ट में उजागर हुई ये खामियांः बिहार के गया स्थित मां भगवती प्राइवेट आइटीआइ को 10 अक्टूबर 2016 को मान्यता दे दी गई, जबकि भवन ही पूरा नहीं था। यूपी के कुशीनगर के रामदारी गुप्ता मेमोरियल प्राइवेट आइटीआइ टिन शेट में चल रहा था, जबकि यह आवासीय इलाके में स्थित रहा। फिर भी मान्यता दे दी गई। वहीं डॉ. आरडीवाई आइटीआइ और बी आर अंबेडकर आइटीआइ गया का पता एक ही रहा, यही हाल गोरखपुर स्थित महाराणा प्रताप आइटीआइ और न्यू महाराणा प्रताप आइटीआइ गोरखपुर का भी रहा। जौनपुर स्थित पूजा आइटीआइ तो कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट में चलता मिला। मशीनरी भी यहां टूटी-फूटी मिली।

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