पंचक में भूलकर न करें ये कार्य, हो सकती है नजदीकियों की मौत!
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक के दिनों को शुभ नहीं माना जाता है। पंचक के दिन अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों के योग से बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो वो समय पंचक समय के नाम से जाना जाता है। पंचक में सबसे अधिक अग्नि का प्रभाव रहता है जिसके कारण रोग, कलह और धन की हानि जैसे योग बनते हैं। इसके साथ ही हिंदू धर्म में मान्यता है कि पंचक के दौरान किसी की मृत्यु होती है तो उसके लिए विशेष पूजा की जानी चाहिए, अन्यथा उस मृत्यु के बाद उसी घर से पांच मृत्यु हो सकती हैं। ये एक तरह का विश्वास है लेकिन ज्योतिषों के अनुसार पंचक के समय को शुभ नहीं माना जाता है। पंचक के दौरान किसी भी तरह का जोखिम भरा हुआ काम नहीं करना चाहिए, ये कार्य मृत्यु के बराबर कष्ट दे सकते हैं। कई ऐसे कार्य हैं जो पंचक के दौरान करना वर्जित माने जाते हैं।
– शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा में यात्रा करना अशुभ माना जाता है। दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। इसलिए पंचक के दौरान इस दिशा में यात्रा करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए।
– यदि पंचक के दौरान घर का निर्माण हो रहा है तो इस समय घर की छत नहीं बनवानी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि इससे घर में धन की हानि और क्लेश बढ़ता है।
– पंचक के दौरान यदि किसी की मृत्यु होती है तो शमशान पर ही कर्म पंडित से विशेष पूजा करवाएं। माना जाता है कि इस तरह से नहीं करने पर परिवार या आस-पास के क्षेत्र से पांच लोगों की मृत्यु हो सकती है।
– इस दौरान फर्नीचर खरीदना शुभ माना जाता है।
– पंचक के दौरान ईंधन इकठ्ठा करने से बचना चाहिए। इन सब की खरीददारी से आग लगने की समस्या हो सकती है।
घर में कोई कार्य है जिसमें मना किए गए कार्य करने पड़ रहे हैं तो कुछ उपायों को करने के बाद ये कार्य किए जा सकते हैं। फर्नीचर का समान खरीदना जरूरी हो तो गायत्री हवन करवा कर फर्नीचर की खरीदारी कर सकते हैं। अगर पचंक के दौरान घर की छत डालना जरूरी है तो ऐसे समय में मजदूरों को मिठाई खिलाएं उसके बाद ही छत डालने का काम करें। पंचक के दौरान ईंधन इकट्ठा करना जरूरी हो तो आटे से बने दीपक में तेल भरकर भगवान शिव के मंदिर में जलाएं। इसके बाद ही ईंधन खरीद सकते हैं। अगर किसी काम से दक्षिण दिशा की यात्रा करनी पड़ें तो हनुमान मंदिर में 5 फल चढ़ाकर यात्रा करें। यदि किसी की मृत्यु हो गई हों तो उसके अंतिम संस्कार में 5 आटे के पिंड बनाकर अर्थी में रखें और उनका शव के साथ दाह संस्कार करें।