पत्रकार गौरी लंकेश मर्डर में बड़ी लीड: हत्या के पीछे हो सकता है ये खूंखार नक्सली
पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में एक अहम सुराग सामने आ रहा है। कन्नड मीडिया की रिपोर्ट्स के हवाले से ये बात सामने आ रही है कि इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने इस हत्या के पीछे हार्डकोर नक्सली विक्रम गौड़ा पर शक जताया है। कन्नड टीवी चैनल पब्लिक टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस विक्रम गौड़ा और उसके पांच साथियों की तलाश कर रही है। हत्या में विक्रम के शामिल होने का संदेह इसलिए भी गहरा हो रहा है क्योंकि केस की जांच के लिए आंध्र प्रदेश की पुलिस भी बैंगलुरु पहुंच गई है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ही खूंखार नक्सली विक्रम गौड़ा का सिक्का चलता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक विक्रम गौड़ा चिकमंगलुरु के जंगलों में छुपा हुआ है और वो इस वारदात को अंजाम देने खुद आया था। इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी की टीम पत्रकार गौरी लंकेश के घर, फोन, मोबाइल, ईमेल, और लैपटॉप से सारे सबूतों को इकट्ठा कर रही है। खबर है कि नक्सल से प्रभावति छत्तीसगढ़ पुलिस भी केस की जांच में सहयोग कर रही है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक सीसीटीवी में हत्यारे की लंबाई 5 फीट 2 इंच से लेकर 5 फीट 4 इंच तक दिख रही है। हालांकि विक्रम गौड़ा के खुद बैंगलुरु आने और हत्याकांड को अंजाम देने पर एसआईटी के अफसरों में ही मतभेद है। सवाल है कि नक्सली विक्रम गौड़ा की गौरी लंकेश से क्या दुश्मनी थी। दरअसल पत्रकार गौरी लंकेश कई नक्सलियों मुख्यधारा में लाना चाहती थी। गौरी लंकेश को इस मिशन में कामयाबी भी मिली थी। गौरी लंकेश के भाई इंद्रजीत ने मीडिया को बताया है कि पिछले चार सालों में गौरी लंकेश नक्सल श्रीमाने नागाराजू, नूर जुल्फीकार श्रीधर, कन्या कुमारी, परशुराम, शिबू, चिन्नमा, रिजवान बेगम समेत कई नक्सलियों को नक्सलवाद के रास्ते से हटाकर मुख्य समाज में ला चुकी थी। पुलिस के मुताबिक अपने अहम साथियों को जाता देख विक्रम गौड़ा गौरी लंकेश से बेहद खफा था। और उसे धमकियां मिल रही थी। इंद्रजीत लंकेश ने भी इस बार की पुष्टि की है।
विक्रम गौड़ा कर्नाटक के उडुप्पी जिले का रहने वाला है। दक्षिण भारत में नक्सली ऑपरेशन की जिम्मेदारी तमिलनाडु के कुप्पुस्वामी के पास थी, जबकि कर्नाटक में इसकी जिम्मेदारी विक्रम गौड़ा को मिली थी। विक्रम गौड़ा पिछले 20 सालों से दक्षिण भारत में नक्सल टेरर का जाना पहचाना नाम है इसके खिलाफ 20 से ज्यादा केस दर्ज है। विक्रम पहले मजदूर संगठनों से जुड़ा हुआ था बाद में वो नक्सल विचारधारा की ओर आकर्षित हुआ और सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में आ गया। विक्रम गौड़ा तीन बार पुलिस के चंगुल से बचकर भाग चुका है।