अब वामपंथियों का लिखा इतिहास तय करेगा रानी पद्मिनी का वजूद? राजपूत के तौर पर ही नहीं, एक भारतीय के तौर पर वो मेरी पूर्वज हैं। जो मां बाप की बेइज़्ज़ती सह सकता है, वही पूर्वजों का निरादर बर्दाश्त कर सकता है। #Padmavatirow
पत्रकार ने रानी पद्मावती को बताया अपना पूर्वज, लोगों ने कहा- आप तो ऐसे बोले रहीं जैसे…
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहा विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जहां राजपूती संगठन करणी सेना ने भंसाली पर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है तो वहीं अब मशहूर पत्रकार श्वेता सिंह ने रानी पद्मिनी को अपना पूर्वज बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि रानी पद्मिनी राजपूत के तौर पर ही नहीं बल्कि एक भारतीय के तौर पर भी उनकी पूर्वज हैं। उन्होंने कहा, ‘अब वामपंथियों का लिखा इतिहास तय करेगा रानी पद्मिनी का वजूद? राजपूत के तौर पर ही नहीं, एक भारतीय के तौर पर वो मेरी पूर्वज हैं। जो मां-बाप की बेइज्जती सह सकता है, वही पूर्वजों का निरादर बर्दाश्त कर सकता है।’ उनके इस ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया यूजर्स का एक धड़ा उनसे सवाल कर रहा है कि क्या उन्होंने पहले से ही फिल्म देख ली है? वहीं कुछ लोगों ने रानी पद्मावती के नृत्य करने पर सवाल खड़े कर दिए। कुछ लोगों ने कहा कि इतिहास तो दोनों पंथों ने लिखा, लेकिन केवल वामपंथियों की विचारधारा को ही इतिहास में समाहित किया गया।
बता दें कि दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह स्टारर फिल्म पद्मावती को कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अब फिल्म को अरनब गोस्वामी और रजत शर्मा जैसे टीवी पत्रकारों का समर्थन मिला है। फिल्म के प्रोड्यूसर्स ने कुछ पत्रकारों के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी। फिल्म देखने के बाद अरनब ने इसे ‘राजपूतों के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि’ बताया। अरनब ने अपने प्राइम टाइम शो में कहा कि फिल्म का हर सीन ‘रानी पद्मिनी की महानता’ को एक ‘सिनेमाई ट्रिब्यूट’ है। वहीं रजत शर्मा ने कहा कि फिल्म का कोई भी सीन ‘राजस्थान के लोगों या राजपूतों की आन-बान-शान के खिलाफ नहीं’ है।
बता दें कि फिल्म पद्मावती का राजपूत संगठन काफी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। राजपूती संगठन करणी सेना का कहना है कि भंसाली ने फिल्म बनाने के लिए इतिहास से छेड़छाड़ की है। हालांकि भंसाली पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उन्होंने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया है। भंसाली का कहना है कि वे राजपूतों की भावनाओं का सम्मान करते हैं।