‘पद्मावती’ फिल्म पर विवाद खत्म करने के लिए इतिहासकारों की मदद लेगी मोदी सरकार, सेंसर बोर्ड से मंगाए नाम
संजय लीला भंसाली निर्देशित विवादित फिल्म ‘पद्मावती’ में तथ्यों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है इस बात की तसल्ली करने के लिए अब मोदी सरकार ने इतिहासकारों की मदद लेने का फैसला किया है। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल एशियन एज की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जानकार इतिहासकारों की लिस्ट मांगी है जो कि दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म में विवादित कंटेंट तलाशने फिल्टर करने के लिए बनाई गए पैनल का हिस्सा बनाए जा सकें।
जानकारी के मुताबिक सेंसर बोर्ड द्वारा सूचना प्रसारण मंत्रालय से इस मामले में मदद मांगे जाने के बाद मंत्रालय ने एचआरडी मिनिस्ट्री को पत्र लिखा है। सेंसर बोर्ड चाहता है कि फिल्म के कंटेंट को पूरी तरह से वैरिफाई कर जांच लिया जाए कि इसमें कुछ भी ऐसा तो नहीं है जिससे राजपूत समुदाय वाले तथा अन्य माहौल इलाकों में तनाव आ सकता है। सूचना प्रसारण मंत्रालय अब एचआरडी मिनिस्ट्री से उम्मीद कर रहा है कि वह जल्द से जल्द इतिहासकारों की लिस्ट जमा करें। उधर पद्मावती के प्रोड्यूसर्स ने सेंसर बोर्ड को अपनी अर्जी दोबारा दाखिल करा दी है।
गौरतलब है कि सेंसर बोर्ड के नए नियम के मुताबिक अब किसी भी फिल्म को सेंसर से पास कराने के लिए उसे कम से कम 68 दिन पहले बोर्ड के पास अर्जी देनी होगी। पद्मावती के मामले में क्योंकि समय सीमा कम थी तो बोर्ड ने इसे सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था। लिहाजा 1 दिसंबर को रिलीज होने जा रही विवादित फिल्म पद्मावती अपने तयशुदा समय पर रिलीज नहीं की जा सकी। हालांकि इसके पीछे और भी कई कारण बताए जा रहे हैं लेकिन कुल जमा जानकारी यह है कि फिल्म अब अगले साल के जनवरी महीने में ही रिलीज हो सकती है।