पद्म श्री से सम्मानित विद्वान ने ‘नियुक्तियों के तौर-तरीकों’ पर बीएचयू के ईसी से दे दिया था इस्तीफा

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एग्जिक्यूटिव काउंसिल (ईसी) के एक सदस्य ने मंगलवार (26 सितंबर) को हुई बैठक में वाइस-चांसलर जीसी त्रिपाठी द्वारा ओपी उपाध्याय को सर सुंदरलाल अस्पताल का नियमित प्रमुख बनाए जाने पर आपत्ति की थी। अब ये जानकारी सामने आयी है कि करीब दो साल पहले ईसी के एक अन्य सदस्य ने जीसी त्रिपाठी द्वाार की गयी “नियुक्तियों” के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वाले सदस्य “पद्म श्री” से सम्मानित हैं। उपाध्याय पहले अस्पताल के कार्यकारी प्रमुख थे। उपाध्याय को फिजी की अदालत ने 21 वर्षीय महिला का यौन शोषण करने का दोषी पाया था। आपत्ति जताने वाले सदस्य ने इसी आधार पर उपाध्याय की नियुक्ति का विरोध किया था।

लेखक और इतिहासकार मिशेल दनिनो को नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2017 में पद्म श्री से सम्मानित किया था। मिशेल ने सात नवंबर 2015 को वीसी जीसी त्रिपाठी को इस्तीफा भेजा था। ईसी की अध्यक्ष वीसी त्रिपाठी के भेजे एक ईमेल के जवाब में मिशेल ने तीन नवंबर 2015 को लिखा था, “…मुझे उम्मीद है आप समझते हैं कि ईसी की बैठक के लिखित ब्योरे (मिनट्स) पर सवाल उठाना आसान नहीं है। वो भी तब जब कोई सामान्य विषय मसलन यूनिवर्सिटी के किसी विभाग या संस्थान के प्रमुख की नियुक्ति,  के बारे में कानूनी प्रतीत होने वाली भाषा में ऐसी बात लिखना जो बैठक के दौरान हुई ही नहीं थीं और जो बात हुई थी उसे न लिखना, ऐसे में सवाल पूछना मुश्किल लगता है…”

बीएचयू की छात्राएं पिछले हफ्ते यौन शोषण और छेड़खानी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रही थीं। छात्राओं पर पुलिस ने शनिवार (23 सितंबर) को लाठीचार्ज किया। पुलिस पर लड़कियों के हॉस्टल में घुसकर लाठीचार्ज का आरोप है। घटना के बाद वीसी जीसी त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली ईसी ने तीन बार बैठक की जिसमें उपाध्याय की नियुक्ति को नियमित करने की मंजूरी दी गयी, जिस पर ईसी के एक सदस्य ने आपत्ति की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय के पोते और इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गिरिधर मालवीय ने गुुरुवार (28 सितंबर) को घटना को “हैरान और परेशान” करने वाला बताया।

साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए इस साल मई में पद्म श्री से सम्मानित मिशेल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हाँ मैंने बीएचयू के ईसी से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे की वजह मानव संसाधन मंत्रालय को पता है। मैं इस पर और कुछ नहीं कहना चाहता।” मिशेल “द लॉस्ट रीवरः ऑन द ट्रेल ऑफ द सरस्वती” के लेखक और आईआईटी गांधीनगर में अतिथि प्रोफेसर हैं। मिशेल इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) के भी सदस्य हैं।

गिरिधर मालवीय साल 2014 में बीएचयू के वीसी के चयन के लिए बनी सेलेक्शन कमेटी के सदस्य थे। उनके अलावा सीएसआईआर के पूर्व निदेशक एसके जोशी और इग्नू के पूर्व प्रोफेसर एचपी दीक्षित सेलेक्शन कमेटी के सदस्य थे। मालवीय ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्होंने वीसी के पद के लिए जीसी त्रिपाठी के नाम की अनुशंसा की थी। मालवीय ने कहा कि चयन समिति के प्रमुख के तौर पर उन्हें उम्मीद थी कि त्रिपाठी विश्वविद्यालय के स्थापना के वास्तविक मूल्यों के अनुरूप बदलाव लाएंगे। उन्होंने कहा, “मैं उन्हें पहले से जानता था….मुझे लगा वो (जीसी त्रिपाठी) इस पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं।”

 मालवीय और त्रिपाठी इलाहाबाद की सेवा समिति नामक संस्था में सदस्य थे। मालवीय संस्था के अध्यक्ष थे और त्रिपाठी सचिव और मैनेजर। ये संस्था सेवा समिति विद्यामंदिर इंटरमीडिएट कॉलेज चलाती है। ये पूछने पर कि क्या वो अभी भी त्रिपाठी को वीसी पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति मानते हैं, मालवीय ने कहा, “मैं पूरे तथ्य नहीं जानता। इसलिए मेरे लिए इस पर तब तक टिप्पणी करना सही नहीं होगा जब तक मैं दोनों पक्षों की बात नहीं सुन लेता।” मालवीय ने ये माना कि बीएचयू के हालिया विवाद के दौरान उन्हें उम्मीद थी त्रिपाठी उनसे संपर्क करेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं पर लाठीचार्ज के मसले पर मालवीय ने कहा, “बीएचयू में ऐसी चीज पहले कभी नहीं हुई थी…मैं क्षुब्ध हूं। यूनिवर्सिटी में ऐसा कैसे हो सकता है? और गार्ड का लडकी से ये कहना पूरी तरह निंदनीय है कि कि तुम्हें इस वक्त बाहर नहीं जाना चाहिए था।” नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2015 में मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न से सम्मानित किया था। गोविंद मालवीय साल 2014 के लोक सभा चुनाव में वाराणसी से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र मोदी के प्रस्तावकों में थे। नरेंद्र मोदी ने करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था।

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