पनामा पेपर्स में बीजेपी नेता का आया नाम सामने, पूछताछ होने पर मिटवा दिया दस्तावेजों से नाम
चर्चित पनामा पेपर लीक मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता का नाम आने से हड़कंप मच गया है। दरअसल 2016 में जब इंडियन एक्सप्रेस ने कोलकाता के मशहूर व्यापारी शिशिर के. बजोरिया से उनके मालिकाना हक वाले फर्म ‘हैप्टिक’ के बारे में जानकारी मांगी तो इसके दो दिन के बाद ही बाजोरिया ने मोसैक फोन्सेका से कॉन्टैक्ट कर उसके रिकॉर्ड को अपडेट करने को कहा।
कौन हैं शिशिर के बाजोरिया ? शिशिर के. बाजोरिया कोलकाता के एक बड़े व्यापारी घराने से ताल्लुकात रखते हैं। उनका परिवार बरसों से जूट और चाय का कारोबार करता आया है। कभी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के बेहद करीबी रहे शिशिर के. बाजोरिया ने साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी ज्वायन कर लिया था।
2016 में बनी थी ‘हैप्टिक’ कंपनी :23 मार्च 2016 को फर्स्ट नेम्स ग्रुप ने ‘हैप्टिक’ कंपनी की स्थापना की। हैप्टिक का निर्माण उससे जुड़ी अन्य कंपनियों की संपत्ति हासिल करने और एक नया ट्रस्ट बनाने के लिए किया गया था। इस संपत्ति की कीमत उस वक्त 1 मिलियन यूएस डॉलर से ज्यादा थी। कंपनी निर्माण के बाद लॉ फर्म मोसैक फोन्सेका से संपर्क कर जल्दी से जल्दी कंपनी के मालिक के बारे में सूचनाएं अपडेट करने को कहा। हैप्टिक कंपनी की तरफ से कहा गया कि नाम को अपडेट कर शिशिर के. बजोरिया की जगह चार्लस गैरी हेपबर्न किया जाए।
4 अप्रैल 2016 को बजोरिया के लिंक का हुआ खुलासा: ‘हैप्टिक’ कंपनी से शिशिर के. बाजोरिया के लिंक का खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने 4 अप्रैल 2016 को किया था। इस खुलासे के बाद ही ‘हैप्टिक कंपनी’ (ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड) यानी बीवीआई के आर्थिक जांच ईकाई के रडार पर आ गई थी।
एक महीने बाद बीवीआई ने फोन्सेका से मांगी जानकारी: इस खुलासे के ठीक एक महीने के बाद 3 मई को हैप्टिक का नाम उन 69 कंपनियों की लिस्ट में शामिल किया गया जिनके बारे में बीवीआई की आर्थिक जांच एजेंसी ने मोसैक फोन्सेका से और अधिक जानकारी मांगी थी।
फर्म ने कहा बजोरिया के पास है मालिकाना हक: इसी साल 10 मई को लॉ फर्म मोसैक फोन्सेका ने आर्थिक जांच इकाई को बतलाया कि ‘हैप्टिक’ का मालिकाना हक बाजोरिया के पास है। हालांकि इसी महीने में फर्स्ट नेम्स ने मोसैक फोन्सेका को बतलाया कि ‘हैप्टिक’ बिक चुकी है। फर्स्ट नेम्स ने कहा कि हैप्टिक का मालिकाना हक उसके पास है।
अक्टूबर 2016 में फर्म ने जांच अधिकारियों को फिर से सूचना दी: मोसैक फोन्सेका ने अक्टूबर 2016 में दोबारा बीवीआई अथॉरिटी को सूचना दी कि बजोरिया के पास ‘हैप्टिक’ का मालिकाना हक था जो मई में खत्म हो गया। यह सूचना बीवीआई प्रबंधन ने मार्च 2017 में अपग्रेड किया जिसमें यह बतलाया गया कि हेपबर्न ‘हैप्टिक’ के मालिक हैं।
क्या कहा था बजोरिया ने? साल 2016 में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए बजोरिया ने कहा था कि वो फर्स्ट नेम्स के वो पहले क्लाइंट थे उनके पास हैप्टिक का मालिकाना हक नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि किसी चूकवश उनका नाम हैप्टिक के प्रबंधन से जुड़ गया है। फर्स्ट नेम के प्रतिनिधि हेपबर्न और बाजोरिया ने एक संयुक्त स्टेटमेंट में लिखा कि जिस फर्म को हमने मोसैक फोन्सेका के पास भेजा है उसके प्रशासकीय नामों में कुछ त्रुटियां रह गई हैं।
फर्स्ट नेम्स ने दी सफाई? ‘हैप्टिक’ के स्वामित्व वाली कंपनी ने सफाई देते हुए कहा कि बाजोरिया कभी भी ‘हैप्टिक बीवीआई लिमिटेड’ के स्टेक होल्डर नहीं रहे हैं और ना ही इनके पास ‘हैप्टिक’ का मालिकाना हक रहा है। फर्स्ट नेम ग्रुप ने कहा कि उसने मोसैक फोन्सेका को भेजे गए अपने कंपनी के प्रशासकीय नामों की लिस्ट में कुछ गलतियां कर दी थी। गलतियों के बारे में जानकारी मिलने पर फर्स्ट नेम्स ग्रुप ने तुरंत मोसैक फोन्सेका को इसके बारे में सूचना दी और इसके नामों में सुधार करने की अपील भी की।
शिशिर बाजोरिया की तरफ से आया यह बयान: इधर इस पूरे मामले में शिशिर बाजोरिया के प्रवक्ता ने कहा है कि बाजोरिया को यह बात अखबारों से पता चला कि उनका नाम ‘हैप्टिक बीवीआई लिमिटेड’ से जोड़ा जा रहा है क्योंकि वहां कुछ नामों को लेकर गलतियां हो गई हैं। उन्होंने हर संभव प्रयास कर इस नाम को हटवाने की कोशिश की। फर्स्ट नेम्स ग्रुप ने बाजोरिया को बतलाया है कि प्रशासकीय नामों में हुई गलतियों को सुधार लिया गया है।