पब्लिक को कुछ शर्तों के साथ जीएसटी में दो फीसदी की राहत देने पर विचार

डिजिटल पेमेंट करना जल्द ही आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। सरकार 2000 रुपये तक के बिल पर डिजिटल पेमेंट करने पर जीएसटी टैक्स रेट में 2 प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ देने पर विचार कर रही है, ताकि कैश पेमेंट कम से कम किया जा सके। सूत्रों के मुताबिक प्रपोजल (जिसमें लाभ डिस्काउंट या कैश बैक के जरिए मिल सकता है) पर वित्त मंत्रालय, आरबीआई, कैबिनेट सचिवालय व आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के मंत्रालय के बीच बातचीत हुई। टीओआई से एक सूत्र ने कहा, भारत को लेश कैश इकनॉमी बनाने के लिए सभी तरह के डिजिटल भुगतान, खासकर छोटे लेनदेन को प्रोत्साहित करने की योजना है। आईटी मिनिस्ट्री सरकार के डिजिटल पेमेंट की योजना को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। इस बैठक में पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के बाद हुई डिजिटल पेमेंट्स की भी समीक्षा हुई। इस बैठक में आईटी मंत्रालय रवि शंकर प्रसाद के अलावा वित्त मंत्रालय एवं कैबिनेट सेक्रेटरी कार्यालय के आला अफसर मौजूद थे। डिजिटल पेमेंट्स को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। 71वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पीएम मोदी ने लोगों से कम नकदी इस्तेमाल करने को कहा था।

सूत्र ने कहा कि लोगों को यह राहत छोटे लेनदेन में दी जाएगी, क्योंकि इनकी संख्या ज्यादा होती है और ज्यादतर लोग कैश में ही इनका भुगतान करते हैं। सूत्र ने यह भी कहा कि 2000 रुपये की लेनदेन काफी ज्यादा होती है और अगर यहां किसी तरह के लाभ दिए जाते हैं जो यह डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देगा और ज्यादा के ज्यादा लोग इसके लिए आगे आएंगे। इसके अलावा काला धन रोकने में भी यह कारगर साबित होगा। हालांकि सूत्र ने कहा कि फिलहाल यह साफ नहीं है कि सरकार 2 प्रतिशत का लाभ देने के लिए क्या तरीका अपनाएगी। उन्होंने कहा, यह मामला फिलहाल वित्त मंत्रालय के पास है। सूत्र ने कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम भी उठा रही है। उन्होंने कहा, आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को और मजबूत करने के लिए कई और कदम उठाए जाएंगे।

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में डिजिटल लेनदेन में कमी आई है। इस साल मार्च तक लोगों ने जमकर अॉनलाइन लेनदेन किए, लेकिन मार्केट में कैश आने के बाद नकद में भुगतान करने की तादाद बढ़ गई। आरबीआई के मुताबिक पिछले साल नवंबर में डिजिटल भुगतान 67 करोड़ था, जो इस साल मार्च तक 89 करोड़ हो गया था, लेकिन जून में यह सिर्फ 84 करोड़ ही रह गया है।

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