पाकिस्तान: मुस्लिम युवक के शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर ईसाई महिला को जिंदा जलाया
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ होने वाले अत्याचार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा का एक और मामला सामने आया है। एक मुस्लिम श्ख्स ने ईसाई युवती को शादी का प्रस्ताव दिया था, जिसे महिला ने ठुकरा दिया था। इससे गुस्साए युवक ने युवती पर गैसोलीन डालकर आग लगा दी थी। पीड़िता को इलाज के लिए लाहौर लाया गया था, लेकिन घटना में बुरी तरह झुलसने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। पीड़िता की पहचान सियालकोट निवासी असमां याकूब (25) के तौर पर की गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी रिजवान गूजर ने असमां को शादी के बाद इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा था। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू और ईसाई समुदाय के साथ हिंसक घटनाएं बेहद आम हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के बावजूद सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मुकम्मल व्यवस्था नहीं की जाती है।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘ये हमलोगों के लिए बड़े शर्म की बात है। हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। यह मामला पुलिस और अदालत के लिए एक चुनौती है कि वे किस तरह आरोपी को जल्द से जल्द दंडित करते हैं।’ पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई समुदाय की आबादी लगातार कम होती जा रही है। खासकर शादी के लिए महिलाओं का जबरन धर्मांतरण कराने की कई घटनाएं सामने आती रहती हैं। पाकिस्तानी संसद में भी यह मुद्दा उठ चुका है। इसको लेकर कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर उसका पालन सही तरीके से नहीं किया जाता है। सियालकोट की घटना भी इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान की सिविल सोसाइटी में इसको लेकर लगातार आवाजें उठती रही हैं।
बता दें कि 25 मार्च को सिंध प्रांत के मताली गांव में कैंप लगाया गया था और यहां पर करीब 500 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया। पाकिस्तान से आने वाले प्रवासी हिंदु जोधपुर और राजस्थान के दूसरे हिस्सों में शरण लेते हैं और पिछले दो वर्षों से यह चलन जारी है। पाकिस्तान में 25 मार्च को जिन हिंदुओं को जबरन धर्म परिवर्तन करा इस्लाम कबूल कराया गया उनमें से अधिकतर वे लोग थे जो भारत में शरण लेने आए थे, लेकिन उन्हें वीजा न मिलने के कारण पाकिस्तान लौटना पड़ा था। भारत सरकार ने पाकिस्तान से आए 5000 विस्थापितों को साल 2005 में नागरिकता प्रदान की थी। लेकिन 15,000 के करीब विस्थापित लॉन्ग टर्म वीजा पाने के लिए दिल्ली और संबंधित जिलों में भटक रहे हैं। राजस्थान हाई कोर्ट में सीआईडी और प्रशासन की ओर से जो डाटा दिया गया है उसके मुताबिक 968 हिंदुओं को पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान वापस भेजा जा चुका है। राजस्थान से पिछले तीन सालों में 1379 हिंदू विस्थापितों को पाकिस्तान वापस लौटना पड़ा है। धर्म परिवर्तन की घटना भी उन्हीं हिंदुओं के साथ घटी है, जिन्हें भारत में वीजा ना मिलने के कारण वापस लौटना पड़ा था।