पाकिस्तान से लौटी गीता ने बिहार के परिवार को पहचानने से किया इनकार, सुषमा ने मांगी मदद

बहुर्चिचत घटनाक्रम में पाकिस्तान से वर्ष 2015 में भारत लौटी गीता ने बिहार के एक परिवार को पहचानने से आज यहां इनकार कर दिया। यह दम्पति ने मूक-बधिर युवती को अपनी नौ साल पहले खोयी बेटी बताते हुए जिला प्रशासन से संपर्क किया था। सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक बीसी जैन ने बताया, ‘‘हमने प्रशासन की अनुमति पर बिहार के नालंदा जिले के रामस्वरूप चौधरी और उनकी पत्नी चिंता देवी की गीता से मुलाकात करायी। लेकिन युवती ने उन्हें देखते ही इशारों की जुबान में उनके उसके जैविक माता-पिता होने की बात से इनकार कर दिया।’’ उन्होंने बताया कि बिहार के दम्पति के डीएनए नमूने उचित सरकारी निर्देश के अभाव के कारण नहीं लिये गए हैं। अगर विदेश मंत्रालय जिला प्रशासन को निर्देश देगा, तो दम्पति के डीएनए नमूने को प्रयोगशाला भेजा जायेगा।

इस बीच एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि गीता को महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के जयसिंह कराभरी इथापे और झारखंड के जामताड़ा जिले के सोखा किशकू के परिवारों से 11 दिसंबर को जिलाधिकारी कार्यालय में मिलवाया जायेगा। दोनों परिवारों का दावा है कि यह लड़की कोई और नहीं, बल्कि उनकी खोयी बेटी है। अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं। लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का दावा फिलहाल सही साबित नहीं हो सका है।

गीता गलती से सीमा लांघने के कारण दशक भर पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के बाद गीता 26 अक्तूबर, 2015 को स्वदेश लौटी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही गैर-सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में भेज दिया गया था। तब से वह इसी परिसर में रह रही है।

सुषमा ने एक अक्तूबर को प्रसारित वीडियो सन्देश में देशवासियों से भावुक अपील की थी कि वे गीता के माता-पिता की तलाश में सरकार की मदद करें। उन्होंने यह घोषणा भी की थी कि इस मूक-बधिर युवती को उसके बिछुड़े माता-पिता से मिलवाने में सहयोग करने वाले व्यक्ति को एक लाख रुपये का इनाम दिया जायेगा।

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