पाकिस्‍तानी सेना भारत के साथ वार्ता को तैयार, भारतीय सेना के साथ अभ्‍यास से भी परहेज नहीं

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सनसनीखेज आरोपों के बाद लगता है पाकिस्‍तान में भारत के साथ संबंधों को पटरी पर लाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इसके संकेत पाकिस्‍तानी सेना के रवैये में बदलाव से मिलते हैं। सेना ने भारत के साथ किसी भी तरह की वार्ता में शामिल होने की बात कही है। सैन्‍य प्रवक्‍ता ने दक्षिण एशियाई पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात में भारत को लेकर रुख में बदलाव का संकेत दिया है। दरअसल, इंटर सर्विसेज जनसंपर्क महानिदेशालय के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर से पूछा गया था कि क्‍या सेना प्रमुख (जनरल कमर जावेद बाजवा) पाकिस्‍तान की असैन्‍य सरकार संग भारत के साथ वार्ता प्रक्रिया में शामिल होंगे? ‘द हिंदू’ समाचारपत्र के अनुसार, इस पर मेजर जनरल गफूर ने कहा कि सेना इस चरण को पहले ही पार कर चुकी है। बता दें कि भारत का मानना है कि शांति बहाली के लिए बातचीत प्रक्रिया को लेकर सेना और पाकिस्‍तानी सरकार एकमत नहीं रहती है। ऐसे में इस दिशा में किए जाने वाले प्रयास के विफल होने की आशंका रहती है। बता दें कि भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्‍तानी एनएसए नासिर जंजुआ के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। इस दौरान कई मसलों पर बातचीत हुई

‘शुरुआती कदम उठाए गए’: मेजर जनरल गफूर ने बताया कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच अचानक से व्‍यापक पैमाने पर कुछ नहीं किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि इस दिशा में शुरुआती कदम उठाए जा चुके हैं। पाकिस्‍तानी सैन्‍य अधिकारी ने बताया कि लश्‍कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को मुख्‍यधारा में लाना पड़ेगा। साथ ही बताया कि मुंबई हमले को लेकर इस्‍लामाबाद को भारत से सबूत मिलने का इंतजार है, ताकि इस ममाले की सुनवाई पूरी की जा सके। उन्‍होंने पाकिस्‍तान को लेकर पश्चिमी देशों की मानसिकता पर भी सवाल उठाए। मेजर जनरल गफूर ने कहा, ‘पश्चिमी देश सोचते हैं कि पाकिस्‍तानी ओसामा बिन लादेन की पोशाक पहन कर हाथ में परमाणु बम लिए हुए है…वही लाल खून हमारी रगों में भी दौड़ता है।’ पाकिस्‍तान ने भारतीय सेना के साथ किसी भी तरह की बहुपक्षीय सैन्‍य अभ्‍यास में भी हिस्‍सा लेने के संकेत दिए। बता दें कि कुछ दिनों पहले पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुंबई हमलों के लिए अपने ही देश को जिम्‍मेदार ठहराया था। इससे पड़ोसी मुल्‍क की राजनीति अचानक से गरमा गई थी।

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