पाठ्यक्रम में शामिल होगा आपातकाल का काला अध्याय, ताकि आने वाली पीढ़ियां काले युग को जान सकें: जावड़ेकर

केंद्र की मोदी सरकार अब स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों में आपातकाल के काले युग को विस्तार से जोड़ने जा रही है, इसकी घोषणा मानव संसाधन और विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ”हमारी किताबों में आपातकाल पर अध्याय और संदर्भ हैं लेकिन हम पाठ्यक्रम में यह भी शामिल करेंगे कि किस तरह आपातकाल के काले चरण ने लोकतंत्र को प्रभावित किया, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस बारे में जान सकें। जावड़ेकर की बात को कांग्रेस पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले  सोमवार (25 जून) को ही केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना क्रूरतम तानाशाहों में से एक हिटलर से कर दी। जेटली ने कहा दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का इस्तेमाल किया था। बता दें कि इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था। आपातकाल की 43वीं बरसी पर जेटली कहा कि जर्मन तानाशाह की तरह गांधी भी भारत को एक वंशवादी लोकतंत्र में बदलने के लिए आगे बढ़ी थीं।

जेटली ने आगे कहा, “हिटलर और गांधी दोनों ने कभी भी संविधान को रद्द नहीं किया। उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए एक गणतंत्र के संविधान का उपयोग किया।” बीजेपी नेता ने कहा कि गांधी ने अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया, अनुच्छेद 359 के तहत मौलिक अधिकारों को रद्द कर दिया और दावा किया कि विपक्ष ने अव्यवस्था पैदा करने की योजना बनाई थी। उन्होंने कहा कि हिटलर ने अधिकांश सांसदों को गिरफ्तार करा लिया था। जेटली ने कहा, “इंदिरा ने ज्यादातर विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार करवा लिया था और उनकी अनुपस्थिति में दो-तिहाई बहुमत साबित कर संविधान में कई सारे संशोधन करवा लिए।” भाजपा नेता ने कहा कि 42वें संशोधन के जरिए उच्च न्यायालयों के रिट पेटीशन जारी करने के अधिकार को कमजोर कर दिया गया। डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इस शक्ति को संविधान की आत्मा करार दिया था।

उन्होंने कहा, “इसके अलावा इंदिरा ने अनुच्छेद 368 में भी बदलाव किया था, ताकि संविधान में किए गए बदलाव की न्यायिक समीक्षा न की जा सके। ऐसी बहुत-सी चीजें थीं, जिसे हिटलर ने नहीं की, लेकिन गांधी ने की।” जेटली ने कहा, “उन्होंने संसदीय कार्यवाही के मीडिया में प्रकाशन पर भी रोक लगा दी। जिस कानून ने मीडिया को संसदीय कार्यवाही को प्रकाशित करने का अधिकार दिया, उसे फिरोज गांधी विधेयक के नाम से जाना जाता था।”

बता दें कि इंदिरा गांधी का लगाया आपातकाल 21 मार्च 1977 तक जारी रहा था। यह तीसरी बार देश में लागू हुआ था। सबसे पहले 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त, दूसरी बार 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय और 1975 में आखिरी बार आंतरिक उथलपुथल का हवाला देकर आपातकाल लगाया गया था।

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