पासपोर्ट विवाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मिला कांग्रेस का साथ, कहा-प्रशंसनीय निर्णय

मोहम्मद अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ से जुड़ा पासपोर्ट विवाद रानीतिक रंग ले चुका है। अब इस विवाद में कांग्रेस भी कूद पड़ी है। प्रमुख विपक्षी पार्टी ने इस मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के कदम को सराहनीय बताते हुए उसकी प्रशंसा की है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री को ट्रोल करने वाले को भी आड़े हाथ लिया। कांग्रेस ने ट्वीट किया, ‘हिंसा की धमकी, अपमान और अशब्दों का प्रयोग सर्वथा वर्जित है, फिर चाहे परिस्थितियां कैसी भी और वजहें कुछ भी क्यों न हों। सुषमा स्वराज जी हमलोग आपके उस निर्णय की सराहना करते हैं, जिसके तहत आपने अपनी ही पार्टी के ट्रोल्स को जवाब दिया।’ बता दें कि लखनऊ में एक अंतरधार्मिक दंपति को पासपोर्ट देने के मामले में पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला सामने आया था। नोएडा में रहने वाले मोहम्म्द अनस और तन्वी सेठ ने विकास मिश्रा की शिकायत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से की थी। मोहम्मद अनस ने कहा था, ‘काउंटर पर तैनात अधिकारी का बर्ताव अनुचित था…उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा कि क्या मेरी पत्नी का नाम तन्वी सेठ है। उन्होंने मुझसे अपना धर्म, नाम बदलने और फेरे लेने को कहा। साथ ही कहा कि इसके बाद ही हमारा काम होगा।’ इसके बाद विकास का लखनऊ से ट्रांसफर कर दिया गया था। इस सबके बीच सोशल मीडिया पर सुषमा स्वराज के खिलाफ अभियान छेड़ दिया गया था। हालांकि, इस दौरान वह यूरोपीय देशों के दौरे पर थीं।

विदेश मंत्री ने खुद शेयर किए थे ट्रोल्स के ट्वीट: विदेश यात्रा से वापस आने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले पर टिप्पणी की थी। उन्होंने ट्रोलर्स के ट्वीट शेयर कर पासपोर्ट विवाद में खुद पर लग रहे आरोपों का जवाब दिया था। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘मैं 17 से 23 जून तक भारत से बाहर थी। मैं नहीं जानती कि मेरी अनुपस्थिति में क्या हुआ। हालांकि, इसके बावजूद मुझे कुछ ट्वीट से सम्मानित किया गया। मैं उन्हें आपके साथ साझा कर रही हूं। मैंने इन ट्वीट को लाइक भी किया।’ दंपति ने आरोप लगाया था कि पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा ने मोहम्मद अनस को हिंदू धर्म अपनाने को कहा था। साथ ही मुस्लिम से शादी करने को लेकर कथित तौर पर तन्वी को खरी-खोटी भी सुनाई थी। इस मामले में सोशल नेटवर्किंग साइट पर सुषमा स्वराज की आलोचना करने वालों में संघ के कार्यकर्ता भी शामिल थे। विवाद बढ़ने पर दंपति को आनन-फानन में महज 24 घंटे में ही पासपोर्ट जारी कर दिया गया था। विदेश विभाग के इस कदम की भी तीखी आलोचना शुरू होने लगी थी।

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