पीने के पानी के लिए तरस रहे हिल स्टेशन शिमला के लोग, लग रहीं लंबी कतारें; होटल की बुकिंग कैंसल
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पेयजल संकट बरकरार है। लगातार आठवें दिन भी शहर के कई हिस्सों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तड़पते रहे। स्थानीय निवासी से लेकर इस हिल स्टेशन घूमने-फिरने आए लोग भी पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। जगह-जगह पानी के लिए लोगों को लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है। शहर में पेयजल संबंधी समस्या गर्मियों में तब आफत बनकर आई है, जब सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। ऐसे में लोग महंगे दामों पर पानी खरीद कर पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं। कई होटल मालिकों को तो पानी की कमी के कारण अपने यहां प्रभावित हुई व्यवस्था के बाद बुकिंग ही करना बंद कर दी।
रविवार (27 मई) को यहां के भरारी, कलोंग, तोटू, मेहली, संजौली, धल्ली, भट्टाकूफर में पानी की दिक्कत बनी हुई थी। स्थानीय लोगों ने इसी के विरोध में आधी रात को मॉल रोड स्थित जलकल विभाग के दफ्तर विरोध जताया। वे मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के घर की ओर बढ़ रहे थे, मगर पुलिस ने लोगों को समझा-बुझाकर रोका। अगले दिन सीएम ने मामले का संज्ञान लिया और कमेटी गठित की। उन्होंने इसकी कमान मुख्य सचिव विनीत चौधरी को सौंपी। साथ ही निर्देश दिया कि वह शहर में रोजाना होने वाली जलापूर्ति पर नजर बनाए रहें।
हालांकि, कुछ होटल हिल स्टेशन में पर्यटकों को कमरे दे रहे हैं, मगर इसके बदले में वे मनमाफिक किराया वसूल रहे हैं। वे इसके साथ ही शर्त रख रहे हैं कि पर्यटकों को एक-दो बाल्टी ही पानी मिलेगा, जबकि कई रेस्त्रां में शौचालयों को पानी की किल्लत के कारण बंद ही कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार को यहां 20 हजार पर्यटकों ने दस्तक दी थी। लेकिन 60 फीसदी होटलों ने पर्यटकों को कमरे देने से मना कर दिया। होटल उद्योग संघ शिमला के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ ने बताया कि नगर निगम अधिकारियों को एक माह पहले पानी की दिक्कत के बारे में बताया गया था। मगर हालात जस के तस हैं।
उधर, पानी की किल्लत होने का फायदा निजी वॉटर टैंकर ऑपरेटर उठा रहे हैं। वे इस दौरान 2500 रुपए के पानी का टैंकर दोगुणे दाम (5000 रुपए) पर बेच रहे हैं। रविवार को लोगों ने इस बारे में बताया, “पानी की कमी के कारण हम बेहद परेशान हैं। आप ही बताएं, बच्चों को कैसे स्कूल भेजें? छह दिन बाद पानी मिला। इतने में क्या होगा। आखिर सारा पानी जा कहां रहा है?”