‘पुरुषों से रेप’ के मामले में भी दी जाए सजा, सुप्रीम कोर्ट में रद्द हुई याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 जनवरी, 2018) को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें महिलाओं को भी पुरुषों की तरह रेप के मामले में सजा देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील ऋषि मल्होत्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि पुरुष भी रेप और यौन उत्पीड़ित हो सकते हैं।

मल्होत्रा की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य जज दीपक मिश्रा ने कहा, ‘हम आपके तर्कों से सहमत नहीं हो सकते हैं। ये काम संसद का है और वही ऐसे मामलों पर फैसला ले सकती है।’ उन्होंने आगे कहा कि इस तरह कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।

दअसल मल्होत्रा ने अपनी याचिका में बलात्कार जैसे अपराध को जेंडर मुक्त करने की सिफारिश की थी। याचिका में दलील दी गई ऐसे अपराधों को लिंग के आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए। यूंकि यह पुरुषों के मूल अधिकारों का हनन भी है।

गौरतलब है कि वर्तमान कानून के अनुसार अगर कोई पुरुष बलात्कार की शिकायत करता है तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा-377 के तहत केस दर्ज कर दिया जाता है। कानून की नजर में पुरुषों से जुड़े इन अपराधों को बलात्कार नहीं अननेचुरल सेक्स की कैटेगरी में रखा जाता है।

जानकारी के लिए बता दें कि इस याचिका रद्द होने के बाद कोर्ट में ऐसी एक अन्य याचिका भी लंबित है। इसमें सिफारिश की गई है कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया लाया जाए। इसमें आगे कहा गया है कि यौन अपराधों को लैंगिक-तटस्थता के आधार पर देखा जाए।

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