पुरुष से हाथ न मिलाया तो नौकरी नहीं दी, मुस्लिम महिला को मिला तीन लाख रुपए हर्जाना

एक मुस्लिम महिला को साक्षात्कार के दौरान पुरुष साक्षात्कारकर्ता से हाथ नहीं मिलाने पर नौकरी ना देने के बदले में तीन हजार पौंड से ज्यादा का हर्जाना दिया गया है। दरअसल 24 साल की फराह अलजेह एक कंपनी में इंटरप्रेटर की नौकरी के लिए पहुंची थी। मगर पुरुष साक्षात्कारकर्ता से हाथ नहीं मिलाने के कारण उन्हें नौकरी नहीं दी गई और कंपनी से जाने के लिए कह दिया गया। जानकारी के मुताबिक फराह ने साक्षात्कारकर्ता से हाथ मिलाने के बजाए हद्धय पर हाथ रखकर अभिवादन किया। इस तरह से अभिवादन करना मुस्लिम समुदाय में आम रिवाज है।

फराह का आरोप है कि स्वीडन के स्टॉकहोम स्थित ऑफिस में उनका साक्षात्कार बीच में ही रोक दिया गया और उन्हें जाने को कह दिया गया। मामले में फराह ने एसवीटी टीवी को बताया, ‘जब मुझसे जाने को कहा गया तो मैं रोने लगी। ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। मेरे लिए यह बहुत भयानक था।’ बाद में फराह ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए कंपनी के खिलाफ केस कर दिया। यहां फराह की जीत हुई और कोर्ट ने फराह को सम्मानित करते हुए कंपनी को 3,420 पाउंड (3,04,484.32 रुपए) का हर्जाना देने को कहा।

मामले में लोकपाल ऑफिस (ombudsman’s office) ने कहा कि यह फैसला नियोक्ता के हितों और धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व को बनाए रखने के लिए लिया गया है। बीबीसी से बातचीत में फराह ने कहा कि ‘मैं अल्लाह में विश्वास करती हूं और स्वीडन में यह बहुत दुर्लभ है। मुझे ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए। और इसे तब तक स्वीकार किया जाना चाहिए जब तक में किसी को चोट नहीं पहुंचा रही हूं। मेरे देश में आप महिला और पुरुष संग अलग ढंग से व्यवहार नहीं कर सकते हैं। मैं इसका सम्मान करती हूं। यही कारण है कि मेरा पुरुषों या महिलाओं के साथ कोई शारीरिक संपर्क नहीं है।’

मामले के दौरान अदालत ने सुना कि फराह का अलग तरह से अभिवादन करने का निर्णय यूरोपीय अधिकारों पर यूरोपीय सम्मेलन द्वारा संरक्षित है। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी सुना कि एक विशिष्ट अभिवादन के रूप में हैंडशेक करना, कंपनी की यह नीति मुस्लिमों के लिए हानिकारक थी।

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