पुलिस को देखते ही गोली चलाता था ये गैंगस्‍टर, खौफ ऐसा कि शहर के अंदर बनवाने पड़े थे बंकर

जब अपराध का महिमामंडन किया जाता है और अपराधी की ‘रॉबिनहुड’ सरीखी छवि गढ़ने की कोशिश की जाती है तो वह स्थिति कई बार कानून व्यवस्था के लिए चुनौती साबित होती है। ऐसा ही कुछ राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के मामले में भी देखने को मिला था। आनंदपाल सिंह का पूरे राजस्थान में कुछ ऐसा दबदबा था कि बच्चे-बच्चे की जुबान पर उसका नाम था। खासकर राजस्थान के कई युवा उसे अपना हीरो मानते थे। सोशल मीडिया पर आनंदपाल सिंह के समर्थकों की संख्या से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। उसके नाम से सैकड़ों पेज बने हुए हैं। बता दें कि पिछले साल 24 जून की रात चुरु में पुलिस ने आनंदपाल को एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था, लेकिन उसे लेकर खबरों और किवदंतियों का बाजार आज तक गर्म है।

कौन था आनंदपाल सिंह
राजस्थान के नागौर जिले के लाडनूं तहसील के एक छोटे से गांव में जन्मे आनंदपाल ने साल 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। कहा जाता है कि आनंदपाल एक पढ़ा-लिखा नौजवान था और राजनीति में जाना चाहता था, लेकिन एक स्थानीय चुनाव में मिली हार और रंजिश के चलते वह अपराध की दुनिया में आ गया। आनंदपाल पर हत्या, डकैती, लूट जैसे 2 दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज थे। 3 सिंतबर, 2015 को आनंदपाल बड़े ही फिल्मी अंदाज से पुलिस की हिरासत से फरार हो गया था। उसके बाद से आनंदपाल पुलिस के निशाने पर था। 24 जून, 2017 को राजस्थान के चुरु में राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम ने उसका एनकाउंटर कर दिया था। इसे लेकर काफी बवाल हुआ था। आनंदपाल सिंह का युवाओं में जबरदस्त क्रेज था और वे उसे हीरो मानते थे। वहीं राजनीतिक तौर पर भी आनंदपाल को शह प्राप्त थी। यही वजह है कि आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर को लेकर काफी दिनों तक राजनीति हुई।

पुलिस में भी था आनंदपाल का खौफ
आनंदपाल की शख्सि‍यत कुछ ऐसी थी कि उसे देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि वह राजस्थान का सबसे खतरनाक गैंगस्टर है। सिर पर हैट, काला चश्मा, जींस-टीशर्ट में दिखने वाले आनंदपाल का खौफ ऐसा था कि पुलिस ने उससे बचने के लिए शहरों में जगह-जगह बंकर बनाए हुए थे। दरअसल आनंदपाल अपने साथ एके-47 और बुलेटप्रूफ जैकेट रखता था। वहीं उसके बॉडीगार्ड अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते थे। यही वजह है कि रायफल और रिवाल्वरों से उसका सामना करने में पुलिसकर्मियों के भी पसीने छूटते थे। कहा जाता है कि आनंदपाल को जेल में अपनी हत्या होने का डर था। इस वजह से आनंदपाल पुलिस हिरासत से फरार हुआ। फरार होने के बाद आनंदपाल और भी ज्यादा खतरनाक हो गया था और जब भी पुलिस उसे पकड़ने की कोशिश करती तो आनंदपाल पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसाने से परहेज नहीं करता था।

सामान्यतः बंकर नक्सल प्रभावित इलाकों और सीमा पर बनाए जाते हैं लेकिन आनंदपाल का खौफ ऐसा था कि राजस्थान के शहरों में बंकर बनाए गए, जिनकी आड़ में पुलिसकर्मी आनंदपाल का सामना करते थे। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों की समय-समय पर फायरिंग की ट्रेनिंग भी करायी जाती थी ताकि मुठभेड़ के समय पुलिस उस जैसे शातिर और खतरनाक गैंगस्टर का सामना कर सके। राजस्थान के नागौर, डीडवाना, सीकर, चुरु, जयपुर ग्रामीण, भीलवाड़ा और बीकानेर जैसे इलाको में आनंदपाल की तूती बोलती थी। आनंदपाल राजस्थान सरकार के लिए सिरदर्द बन गया था, जिसके बाद एसओजी की टीम को उसके पीछे लगाया गया था। इसी एसओजी की टीम ने आनंदपाल का एनकाउंटर किया।

एनकाउंटर के 19 दिन बाद हुआ था अंतिम संस्कार
आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर काफी बवाल हुआ था। गौरतलब है कि आनंदपाल सिंह के शव का अंतिम संस्कार उसके एनकाउंटर के 19 दिन बाद पुलिस ने अपनी देख-रेख में कराया था। दरअसल आनंदपाल के परिजनों ने एनकाउंटर पर गंभीर सवाल खड़े किए थे और सीबीआई जांच की मांग की थी। सरकार द्वारा सीबीआई जांच की अनुमति ना दिए जाने पर परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार 19 दिनों तक लटकाए रखा। आखिरकार पुलिस की देखरेख में आनंदपाल सिंह के शव का अंतिम संस्कार कराया गया।

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