पुलिस तो छोड़िए, इन 34 गांवों में राष्‍ट्रपति के लिए भी “बैन” है एंट्री, पत्‍थरों पर लिखा अपना संविधान, मंत्री के इलाके का भी यही हाल

झारखंड की राजधानी रांची से सटे चार जिलों के 34 गांवों में देश का कानून नहीं बल्कि वहां की ग्राम सभा का कानून चलता है। हालात ये है कि उन गांवों की सीमा में बिना इजाजत कोई नहीं प्रवेश कर सकता है। न प्रधानमंत्री, न मुख्यमंत्री, न राज्यपाल और न ही राष्ट्रपति। अगर किसी को भी उन गांवों में प्रवेश करना है तो पहले ग्राम सभा से इजाजत लेनी पड़ती है। दैनिक भास्कर अखबार ने इन इलाकों की ग्राउंड रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट में कही गई बातें हैरान करने वाली हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन गांवों में गैरकानूनी तरीके से अफीम की भी खेती की जाती है। इन गांवों में ग्राम सभा ने अपनी सीमा पर बैरेकेडिंग कर रखी है। इसे वहां की स्थानीय भाषा में पत्थलगड़ी कहा जाता है। यानी पत्थर गाड़कर वहां गांव की सीमा रेखा बनाई गई है। यह आदिवासी समाज की परंपरा है मगर इसकी आड़ में गलत तरीके से रोका-टोकी हो रही है। पत्थर पर ही भारत का संविधान लिखा गया है लेकिन यह संविधान भारत के मूल संविधान की गलत व्याख्या कर लोगों को भड़का रहा है। बता दें कि जिन चार जिलों में पत्थलगड़ी का खेल जारी है, उनमें खूंटी, गुमला, सिमडेगा और रांची भी है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चार अन्य जिलों गोड्डा, पाकुड़, लोहरदगा और पलामू में भी पत्थलगड़ी पैर पसार रहा है।

हैरत की बात यह है कि राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के इलाके में भी पत्थलगड़ी हो रही है। यहां ग्रामीण बीच सड़क पर मचान बनाकर चौबीसों घंटे आने-जाने वाले लोगों पर निगरानी रखते हैं। जिन गांवों में पत्थलगड़ी हो चुकी है वहां के ग्राम प्रधानों ने सीएम, पीएम और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि स्थानीय स्तर से जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के लोगों को हटाएं। नक्सलियों से निपटने के लिए बनाए गए सीआरपीएफ कैम्पों को भी वहां से हटाने के लिए अनुरोध पत्र लिखा गया है।

अगर कोई बाहरी व्यक्ति जबरन इन गांवों में घुसता है तो ग्राम सभा पंचायत कर उसके खिलाफ फैसला लेती है और दंड देती है। अगर किसी को गांव में जाने की इजाजत मिलती भी है तो उससे पहले उसका नाम, काम, पहचान पत्र, किससे मिलना है, क्या काम है, कहां से आए हैं, कहां जाना है, क्यों मिलना है आदि सवाल पूछे जाते हैं। जवाब से संतुष्ट होने पर ही पंचायत गांव में प्रवेश की इजाजत देती है। जब तक कोई गांव का जानकार नहीं होता है तबतक प्रवेश नामुमकिन है। इनका खौफ इस कदर है कि हथियारबंद पुलिसकर्मी भी वहां नहीं जाना चाहते हैं। इन लोगों ने ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने और बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ने देने के लिए ग्रामीणों को जबरन राजी कराया है। पत्थलगड़ी के लोगों ने अपने स्तर से स्कूल खोला है जिसमें बच्चों को गैर कानूनी शिक्षा दे रहे हैं और ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है।

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