पूर्व जांच अफसर का दावा- राम रहीम केस में मनमोहन सिंह ने CBI चीफ को बुला कर देखी थी फाइल
डेरा सच्चा सौदा में दो साध्वियों के बलात्कार और यौन शोषण मामले में 10-10 साल की जेल की सजा पाने वाले गुरमीत राम रहीम की पैरोकारी कई रसूखदारों ने की थी। विशेष सीबीआई अदालत द्वारा सजा का ऐलान होने के बाद सीबीआई के एक पूर्व अधिकारी ने इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा किया है। समाचार चैनल न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में सीबीआई के पूर्व डीआईजी एम नारायणन ने कहा पंजाब और हरियाणा के कई सांसदों-विधायकों ने गुरमीत राम रहीम के खिलाफ जांच ढीली करने का दबाव बनाया था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीबीआई का बचाव किया था। नारायणन के अनुसार जब राजनीतिक दबाव बढ़ा तो तत्कालीन पीएम सिंह ने सीबीआई के तत्कालीन प्रमुख विजय शंकर को मामले पर चर्चा के लिए बुलाया था।
मनमोहन सिंह ने दोनों साध्वियों द्वारा गुरमीत राम रहीम के खिलाफ दिया गया बयान देखने के बाद सीबीआई को कानून के अनुसार काम करने के लिए कहा था। नारायणन के अनुसार सीबीआई के तत्कालीन प्रमुख विजय शंकर भी पंजाब और हरियाणा के सांसदों के दबाव के आगे नहीं झुके थे। केरल के रहने वाले नारायणन ने राम रहीम को सजा मिलने पर संतोष व्यक्ति करते हुए कहा कि उसे दो लोगों की हत्या के मामले में भी सजा मिलनी चाहिए। नारायणन के अनुसार गुरमीत राम रहीम के खिलाफ साल 2002 में मामला दर्ज हुआ था लेकिन साल 2007 तक जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई। तब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सीबीआई को जांच सौंपी। हाई कोर्ट ने सीबीआई प्रमुख को अदालत में तलब किया था।
इन दिनों कर्नाटक में छुट्टियां मना रहे नारायणन सीबीआई में रहने के दौरान नारायणन कई अहम मामलों से जुड़े रहे, जिनमें राजीव गांधी हत्याकांड, बाबरी मस्जिद विध्वंस, कंधार विमान अपहरण, पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद के मामले शामिल रहे। डेरा प्रमुख के मामले की जांच के दौरान उन पर कई तरफ से दबाव डाले जा रहे थे। वह कहते हैं, “मैं बेहद सतर्क था, क्योंकि मामूली सी भी चूक मुझे निलंबित करवा सकती थी।” वह कहते हैं, “इस मामले में फैसला आने में इतना लंबा समय इसलिए लगा, क्योंकि उत्तर भारत में अमूमन अदालतें काफी वक्त लेती हैं। न तो मैं रोमांचित हूं और न ही मुझे हद से अधिक खुशी है, मेरे लिए यह रोजाना की बातों जैसा है।